कावेरी के पानी को लेकर जारी विवाद एक बार फिर से गर्मा गया है. सोमवार को इसके पानी के लिए प्रदर्शन कर रहे तमिलनाडु के किसानों ने नागपुर रेलवे स्टेशन पर अंडमान एक्सप्रेस को करीब 40 मिनट तक रोके रखा. इस नई घटना के बाद एक बार फिर से यह फसाद सुर्खियों में आ गया है. आपको बता दें कि यह विवाद हाल-फिलहाल का नहीं बल्कि सन् 1800 के दशक के अंत से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच तनाव की वजह बना हुआ है.
ताजा घटनाक्रम में 16032 कटरा-चेन्नई अंडमान एक्सप्रेस सोमवार सुबह करीब 10:30 बजे नागपुर स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर पहुंची थी. ट्रेन में पहले से सवार 65 किसान खाना खाने के बहाने उतर गए और इंजन पर चढ़ गए और प्रदर्शन करने लगे. किसानों ने करीब 40 मिनट तक ट्रेन को रोककर रखा था जिससे स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया था. किसानों के आंदोलन के चलते कुछ ट्रेनों को दूसरे प्लेटफॉर्म पर डायवर्ट किया गया. किसान दरअसल 27 जुलाई को जीटी एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे. इसके बाद पुलिस ने सभी किसानों को नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन पर उतार लिया था.
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अंडमान एक्सप्रेस में अतिरिक्त जनरल कोच जोड़े गए और किसानों को चेन्नई भेजा गया. इस बीच, उन्होंने नागपुर स्टेशन पर रेल रोको प्रदर्शन किया. स्थिति को तनावपूर्ण होता देखा आरपीएफ को मोर्चा संभालना पड़ा तब जाकर स्थिति थोड़ी शांत हो सकी. सभी किसानों को ट्रेन में चढ़ने की मंजूरी दी गई और फिर ट्रेन सुबह 11:15 बजे रवाना हो सकी. कर्नाटक और तमिलनाडु से होकर बंगाल की खाड़ी में मिलने वाली कावेरी नदी दक्षिण भारत की एक महत्वपूर्ण नदी है.
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विवाद की शुरुआत 1800 के दशक के आखिर में हुई थी, जब मैसूर रियासत जो अब कर्नाटक का हिस्सा है, और मद्रास प्रेसीडेंसी यानी अब तमिलनाडु के बीच समझौते हुए थे. इस नदी के पानी को लेकर सारा विवाद पानी की कमी की दौरान इसके संसाधनों के प्रयोग, नियमित वर्षों के दौरान पानी के वितरण और नदी के रास्तों के साथ जलाशयों और बांधों की स्थापना से जुड़ा है. दोनों राज्य अपनी बढ़ती आबादी और कृषि गतिविधियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए नदी के पानी के ज्यादा हिस्से को लेकर झगड़ रहे हैं.
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