कंगना की चाह-तीनों कृषि कानून वापस हों, कांग्रेस ने कहा-नहीं होने देंगे ऐसा

कंगना की चाह-तीनों कृषि कानून वापस हों, कांग्रेस ने कहा-नहीं होने देंगे ऐसा

कंगना रनौत ने तर्क दिया कि तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, लेकिन कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के कारण सरकार ने उन्हें निरस्त कर दिया. उन्होंने कहा, "किसान देश के विकास में ताकत का स्तंभ हैं. मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए कानून वापस मांगें."

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कंगना की चाह-तीनों कृषि कानून वापस हों, कांग्रेस ने कहा-नहीं होने देंगे ऐसाबीजेपी सांसद कंगना रनौत

वापस हुए तीन कृषि कानूनों की चर्चा फिर चल पड़ी है. दरअसल, एक बयान में मंडी से भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनौत ने कहा कि वह चाहती हैं कि वापस हुए तीनों कृषि कानून वापस हों. उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानून किसान हितैषी थे और किसानों को केंद्र सरकार से तीनों कानूनों को वापस लाने की मांग करनी चाहिए. हालांकि कंगना ने यह भी कहा कि उनका यह बयान विवादित बना दिया जाएगा. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने इसका पुरजोर विरोध किया और कहा कि वह ऐसा नहीं होने देगी.

किसान और कृषि कानूनों पर कंगना रनौत ने कहा, किसानों के जो हितकारी घाटे हैं उन्हें पूरा किया जाना चाहिए. इसके लिए किसानों को भी चाहिए कि वे अपनी आवाज को उठाएं क्योंकि वे देश के अन्नदाता हैं और उन्हें अपनी बात रखने के लिए आगे आना चाहिए. हिमाचल प्रदेश में अपने निर्वाचन क्षेत्र मंडी में पत्रकारों से बात करते हुए अभिनेत्री से नेत्री बनी कंगना ने कहा, "मुझे पता है कि यह बयान विवादास्पद हो सकता है लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए. किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए." 

क्या कहा कंगना ने?

कंगना रनौत ने तर्क दिया कि तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे, लेकिन कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के कारण सरकार ने उन्हें निरस्त कर दिया. उन्होंने कहा, "किसान देश के विकास में ताकत का स्तंभ हैं. मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए कानून वापस मांगें." दूसरी ओर, कांग्रेस ने रनौत की टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी ऐसा कभी नहीं होने देगी.

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कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "तीनों काले किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हुए 750 से ज़्यादा किसान शहीद हो गए. उन्हें फिर से वापस लाने की कोशिश की जा रही है. हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे." उन्होंने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा, "हरियाणा सबसे पहले जवाब देगा."

AAP सांसद मलविंदर सिंह कांग ने कहा, "मुझे पीएम मोदी पर तरस आता है. उन्होंने कहा कि वह किसानों की चिंताओं को समझने में असमर्थ हैं और वह (किसानों के) कानूनों को वापस ले रहे हैं... ऐसा लगता है कि या तो कंगना पीएम मोदी को चुनौती दे रही हैं या पीएम मोदी असहाय हो गए हैं, यह केवल बीजेपी ही बता सकती है."

कानून पर विरोध

हाल ही में, कंगना रनौत ने कहा कि किसान आंदोलन "भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति" पैदा करने की तैयारी कर रहा है, और दावा किया कि आंदोलन वाली जगहों पर शव लटके हुए पाए गए और बलात्कार हो रहे हैं. उनके इस बयान के कारण भारी विरोध हुआ और बीजेपी को उनके बयानों से दूरी बनानी पड़ी. इस पर कंगना रनौत ने विरोध को राजनीति से प्रेरित बताया और इस मुद्दे पर पंजाबी गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ के साथ सार्वजनिक रूप से बहस भी की.

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केंद्र सरकार किसानों के लिए तीन कृषि कानून लेकर आई थी जिसका भारी विरोध हुआ था. बाद में सरकार को इन कानूनों को वापस लेना पड़ा और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में बयान देना पड़ा था. मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई किसानों को डर था कि इन सुधारों से कॉर्पोरेट शोषण होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म हो जाएगा. बाद में दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय तक विरोध प्रदर्शन के बाद, नवंबर 2021 में कानूनों को निरस्त कर दिया गया. सरकार ने किसानों के साथ आम सहमति बनाने में विफलता को इसका कारण बताया.

 

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