22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. भारत ने पड़ोसी मुल्क के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए हैं जिसमें अटारी बॉर्डर को बंद करना भी शामिल है. बताया जा रहा है अटारी बॉर्डर के बंद होने के बाद आने वाले त्यौहारी सीजन में घरेलू बाजार में सूखे मेवों की कीमतों में बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है.पड़ोसी पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच सीमाओं के बंद होने से अफगानिस्तान से सप्लाई में मुश्किलें आने की पूरी संभावना है.
भारत, अफगानिस्तान से भारी मात्रा में मेवे और सूखे मेवे आयात करता है. अफगानिस्तान की तरफ से हर साल एक अनुमान के मुताबिक 20,000 टन के मेवे भारत को निर्यात किए जाते हैं. दोनों देशों के बीच मौजूदा व्यापार प्रतिबंधों और सीमाओं के बंद होने से सूखे खुबानी, बादाम, काली और हरी किशमिश, पिस्ता, अखरोट जैसे मेवों की आवक पर असर पड़ने की आशंका है.अखबार द हिंदू बिजनेसलाइन ने नटकिंग ब्रांड के मालिक बीटा ग्रुप के जे राजमोहन पिल्लई के हवाले से लिखा है कि वर्तमान स्थितियों में भारत को वैकल्पिक आयात के रास्ते तलाशने पड़ेंगे.अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर पीक सीजन के दौरान घरेलू बाजार में मेवों की कीमतों में बड़ा इजाफा होगा.
उन्होंने बताया कि भारत में पहले से ही अमेरिका से आयात किए जाने वाले प्रॉडक्ट्स समेत कुछ और उत्पाद दुबई के रास्ते आ रहे हैं. अगर भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार संबंध और खराब होते हैं तो लागत बढ़ने की आशंका है. वहीं नई दिल्ली में एक प्रमुख सूखे मेवे के व्यापारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अटारी बॉर्डर के बंद होने से अफगानिस्तान से उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन पर उल्टा प्रभाव पड़ेगा. बताया जा रहा है कि बॉर्डर के दूसरी तरफ से करीब 30 ट्रक भारत में दाखिल होने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं.
उत्तर भारत में इस समय शादियों का सीजन है और घरेलू बाजार में मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त स्टॉक है. सीजन के अंतिम चरण में होने वाली मौजूदा मंदी और त्योहारों से पहले जुलाई-अगस्त तक नई फसल के आने के कारण मांग में तेजी आने की उम्मीद है. काबुल से कार्गो फ्लाइट्स की सीमित उपलब्धता के कारण सप्लाई में देरी से अंजीर और किशमिश जैसे सूखे मेवों की गुणवत्ता में गिरावट आ सकती है. औषधीय गुणों के कारण इन मेवों की मांग काफी ज्यादा है.
मैंगलोर स्थित बोलास एग्रो प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक बोला राहुल कामथ ने कहा कि बॉर्डर बंद होने से आयातित सूखे मेवों की कीमतें पहले ही 10-15 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं. अब अफगानिस्तान के सूखे मेवों के लिए भारत पहुंचने का इकलौता विकल्प ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से है. इसमें सड़क मार्ग से 34 दिनों की तुलना में करीब एक महीने की लंबी यात्रा है. रेफ्रिजरेटेड कंटेनरों की कमी की वजह से इतनी लंबी यात्रा में मेवों को नुकसान हो सकता है.
कामथ के अनुसार मूल्य निर्धारण गुणवत्ता पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए अफगानिस्तान के उम्दा ममरा बादाम की कीमत 2000-2500 रुपये प्रति किलोग्राम, पिशोरी पिस्ता 3000-3200 रुपये, अंजीर सूखे अंजीर 600-1400 रुपये प्रति किलोग्राम, काली किशमिश 200-350 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है. उन्होंने बताया कि सार्क नियमों के कारण अफगानिस्तान से व्यापार वर्तमान में ड्यूटी फ्री है. यह साफ नहीं है कि ईरान के रास्ते भेजी जाने वाले खेपों को ऐसी छूट मिलती है या नहीं.
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