देश में किसानों के सामने अनाज, फल और सब्जी के स्टोरेज की बड़ी समस्या रही है, जिसे दूर करने के लिए एग्रीकल्चर इंफ्रा फंड योजना चलाई जा रही है. इसके तहत देशभर में अब तक 72 हजार से अधिक स्टोरेज फेसेलिटी (संरचनाएं) बनाई जा चुकी हैं. इसके लिए केंद्र सरकार ने 76,305 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इस व्यवस्था से किसान जब तक चाहें फसल रख सकते हैं और जब चाहें तब बेच सकते हैं. इस व्यवस्था किसानों को अपनी फसल को औने-पौने दाम पर बेचना नहीं पड़ रहा है. यह बातें केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान जवाब देते हुए कहीं.
किसानों के मुद्दे पर लोकसभा में सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसान अन्नदाता और जीवनदाता है. हमारी सरकार किसानों को सुखी करने तथा उनकी समस्याओं का निराकरण करने के लिए अनेक उपाय कर रही है. उन्होंने कहा कि किसानों के लिए 1 लाख करोड़ रुपए की एग्री इंफ्रा फंड की योजना लाई गई है, जिसके अंतर्गत पूरे देश में 76,305 करोड़ रुपए की लागत की 72,222 स्टोरेज सुविधांए (संरचनाएं) बनाई गई हैं.
कृषि मंत्री ने कहा कि हमारा किसान वानिकी भंडार भरता है, इसलिए किसान अन्नदाता है. किसानों के लिए एकमात्र लक्ष्य किसान की सेवा है. पीएम मोदी के प्रयासों से देश के अन्न भंडार भरे हैं. कृषि विकास दर 4 फीसदी के आसपास है, लेकिन सब्जी और फल के उचित भंडारण की दिक्कत है. दूसरी सरकारों में न कोल्ड स्टोरेज बने, न वेयरहाउस बने.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एग्री इंफ्रा फंड योजना के तहत देशभर में 31 राज्यों में स्टोरेज फैसेलिटी बनाइ गई हैं. जिनमें छत्तीसगढ़, केरल, उड़ीसा पश्चिम बंगाल समेत अन्य राज्यों में भंडारण की व्यवस्था की जा रही है. इससे किसान अपनी फसल जब चाहे कोल्ड स्टोरेज में रखता है और बेचता है. उन्हें औने-पौने दाम पर फसल बेचनी नहीं पड़ रही है.
शिवराज सिंह ने कहा कि सरकार उपाय कर रही है, जिसमें किसान का उत्पादन बढ़ाना प्रमुख है. अन्नदाताओं को ऊर्जादाता बनाने का संकल्प लिया है. इसके लिए पीएम-कुसुम योजना के तहत कार्य हो रहा है. पीएम कुसुम योजना के तहत बंजर भूमि पर किसान खुद का सोलर पैनल लगाकर ऊर्जा उत्पादन कर उसे ग्रिड को बेच सकता है. जबकि, अपने खेत में सोलर पैनल लगाकर फसल की सिंचाई की व्यवस्था कर सकता है.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि मनरेगा का पैसा मजदूरों को रोजगार देने के लिए है. 100 दिन का रोजगार एक परिवार के मांगने पर दिया जाता है, कई परिवार 50-60 दिन का रोजगार मांगते हैं, परिवार जितने दिन का रोजगार मांगते हैं उन्हें दिया जाता है. अगर कोई इसका दुरुपयोग कर रहा है, अनियमितता कर रहा है, गाइडलाइन से बाहर जा रहा है और फंड को डायवर्ट कर रहा है, तो उस पर हम जरूर कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि हम जनता का पैसा किसी को नहीं खाने देंगे. इस बार योजना के लिए 86 हजार करोड़ का प्रावधान किया गया है.
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