किसानों का अनाज खरीदने में घोटाले के आरोपों पर सरकार ने जवाब देते हुए इसे खारिज कर दिया है. केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने कहा कि किसानों से खरीदे गए अनाज का 100 फीसदी भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया गया है. बिचौलियों के जरिए कथित भ्रष्टाचार के आरोप पूरी तरह गलत और बेबुनियाद हैं. दावा किया गया था कि अनाज खरीद में तीसरे पक्ष के लोगों की एंट्री था और किसानों को उनके लिए तय दाम नहीं मिल रहा था और बिचौलिए उनसे पैसा हड़प रहे थे.
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रहलाद जोशी ने दावा किया कि खाद्यान्न खरीद में कोई भ्रष्टाचार नहीं है और किसानों को 100 प्रतिशत भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जा रहा है. खरीद प्रक्रिया में बिचौलियों के माध्यम से कथित भ्रष्टाचार पर प्रश्नों का उत्तर देते हुए मंत्री ने राज्यसभा में इन आरोपों को खारिज कर दिया कि अब प्रणाली में कोई भ्रष्टाचार है.
बिहार से आरएलएम सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने भी बिचौलियों के माध्यम से खरीद प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और कहा कि बिचौलियों ने किसानों का शोषण किया. उन्होंने यह भी दावा किया कि खरीद में तीसरे पक्ष के लोगों की एंट्री था और किसानों को उनके लिए तय दाम नहीं मिल रहा था और बिचौलिए उनसे पैसा हड़प रहे थे. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठाया और कहा कि खाद्यान्न खरीदने वाले दिहाड़ी मजदूर हैं और खरीद एजेंसियों और सरकार के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं और इसी वजह से भ्रष्टाचार है.
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि हम डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों को पैसा भेजते हैं. हम 48 घंटे के भीतर सीधे किसानों के खातों में पैसा भेजते हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र राज्यों या केंद्रीय एजेंसियों को भुगतान करता है जो सीधे किसानों को उनके खातों में भुगतान करते हैं. पहले ऐसा होता था कि केंद्र की ओर से भेजे गए एक रुपये में से केवल 15 पैसे ही लाभार्थी तक पहुंचते थे. अब ऐसा नहीं होता. हम सीधे किसानों के खातों में भुगतान कर रहे हैं, कोई भ्रष्टाचार नहीं है. मोदी सरकार के दौरान जब एक रुपया भेजा जाता है, तो पूरा एक रुपया, 100 पैसे, किसानों के खाते में जाता है.
केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि मोदी सरकार हर अनाज खरीदने के लिए तैयार है और हमने ऐसा किया है. जोशी ने कहा कि 2004-14 के दौरान कुल धान की खरीद 4,590 लाख मीट्रिक टन थी, जबकि मोदी सरकार के तहत 2014-24 के दौरान 6,899 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई. जहां तक गेहूं का सवाल है 2004-2014 के दौरान 2,140 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई, जबकि मोदी के कार्यकाल में 3,072.58 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई.
प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यूपीए कार्यकाल में 2004-14 के दौरान एमएसपी के अनुसार धान खरीद के लिए 10 वर्षों में किसानों को कुल 4,40,498 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जबकि अब किसानों को कुल 12,51,403 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है. यह यूपीए के जरिए किसानों को दिए गए भुगतान से 3 गुना अधिक है. मंत्री ने कहा कि गेहूं के लिए यूपीए कार्यकाल 2004-05 से 2013-14 के दौरान किसानों को 2,26,817 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया था, जबकि मोदी कार्यकाल में किसानों को कुल 5,44,324 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो डीबीटी के माध्यम से किसानों के खातों में सीधे जमा होने वाली राशि से 2.5 गुना अधिक है.
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