Rajasthan: भजनलाल सरकार ने की गहलोत की दो योजनाएं बंद, 52 हजार युवाओं पर असर

Rajasthan: भजनलाल सरकार ने की गहलोत की दो योजनाएं बंद, 52 हजार युवाओं पर असर

भजनलाल सरकार ने प्रदेश में गहलोत सरकार के वक्त की दो योजनाओं को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इनमें सोमवार को राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को बंद करने के आदेश जारी कर दिए. इसी दिन शांति एवं अहिंसा विभाग में महात्मा गांधी प्रेरक भर्ती प्रक्रिया को भी रोकने के आदेश जारी किए हैं.

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Rajasthan: भजनलाल सरकार ने की गहलोत की दो योजनाएं बंद, 52 हजार युवाओं पर असरभजनलाल सरकार ने की गहलोत की दो योजनाएं बंद, 52 हजार युवाओं पर असर

हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान में कांग्रेस-बीजेपी की योजनाओं को बंद करने को लेकर राजनीति शुरू हो गई है. भजनलाल सरकार ने प्रदेश में गहलोत सरकार के वक्त की दो योजनाओं को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इनमें सोमवार को राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को बंद करने के आदेश जारी कर दिए. इसी दिन शांति एवं अहिंसा विभाग में महात्मा गांधी प्रेरक भर्ती प्रक्रिया को भी रोकने के आदेश जारी किए हैं. दोनों आदेशों के चलते प्रदेशभर के करीब 52 हजार युवा प्रभावित होंगे. इससे पहले दिन में सीएम भजनलाल ने कहा था कि कांग्रेस कार्यकाल की कोई भी योजना बंद नहीं की जाएगी. बल्कि उन्हें और अच्छे ढंग से लागू किया जाएगा. लेकिन शाम होते-होते दोनों योजनाओं को बंद करने के आदेश जारी हो गए. आदेश के अनुसार राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना को 31 दिसंबर तक बंद करने के आदेश जारी हुए हैं. योजना बंद होने से प्रदेशभर के करीब दो हजार युवाओं पर असर होगा. वहीं, महात्मा गांधी प्रेरक भर्ती प्रक्रिया को निरस्त किया गया है. बता दें कि राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप योजना में युवाओं को सरकार के अलग-अलग विभागों में छह महीने से दो साल तक की इंटर्नशिप करवाई जाती थी.

इंटर्नशिप में युवाओं को 10 हजार रुपए महीने बतौर स्टाइपेंड दिए जाते थे. यह योजना अशोक गहलोत ने साल 2021-22 में शुरू की गई थी. 

इधर, गहलोत का पलटवार- योजना अटल वाजपेयी के नाम कर देते, बंद क्यों की?

भाजपा सरकार के इस निर्णय को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गई है. पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार के फैसले पर पलटवार किया है. उन्होंने बयान जारी कर कहा कि राजीव गांधी युवा मित्र इंटर्नशिप कार्यक्रम में सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने के लिए कार्य कर रहे युवाओं की सेवाएं समाप्त करना उचित नहीं है. ये युवा सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूक हैं और सरकार की काफी मदद कर रहे हैं. नई सरकार को इस योजना के नाम से परेशानी थी तो राजीव गांधी सेवा केंद्रों की तरह नाम बदलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर कर सकती थी. 

 

वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने X पर एक पोस्ट किया, 'राजस्थान की भाजपा सरकार ने नए साल से पहले हजारों राजीव गांधी युवा मित्रों का इंटर्नशिप कार्यक्रम समाप्त कर उन्हें बेरोजगारी का गिफ्ट दिया है.'

महात्मा गांधी प्रेरक भर्ती को रोकने पर डोटासरा ने लिखा, “राजीव गांधी युवा मित्रों को हटाने के बाद भाजपा सरकार द्वारा 50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती प्रक्रिया रद्द करना युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात है. सेवा प्रेरक का काम अंहिसा, प्रेम और गांधी दर्शन का प्रचार-प्रसार करना था लेकिन जिन्हें गोडसे में विश्वास हो वो गांधी जी के विचारों को कैसे बढ़ा पाते! इसीलिए इन्होंने ये क़दम उठाया है. भाजपा सरकार रोजगार का रोडमैप बनाने की बजाय रोजगार छीनकर युवाओं को बेरोजगारी में धकेलने का काम रही है.”

राजीव गांधी युवा मित्रों को हटाने के बाद भाजपा सरकार द्वारा 50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती प्रक्रिया रद्द करना युवाओं के भविष्य पर कुठाराघात है।

सेवा प्रेरक का काम अंहिसा, प्रेम और गांधी दर्शन का प्रचार-प्रसार करना था लेकिन जिन्हें गोडसे में विश्वास हो वो गांधी जी… pic.twitter.com/aKuntwrza7

योजनाएं बंद करना दोनों पार्टियों की पुरानी राजनीति

राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलती है. ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच एक-दूसरे की योजनाओं को बंद करने या नाम बदलने की परंपरा पुरानी है. साल 2009 में अशोक गहलोत सरकार ने कार्यभार संभाला था, तब वसुंधरा राजे की भामाशाह योजना को बंद कर दिया था. साल 2008 में राजे आधार कार्ड की तर्ज पर भामाशाह कार्ड की योजना लेकर आई थी. जिसमें लाभार्थियों के कार्ड बनाकर सभी योजनाओं का लाभ दिया जाना था.

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इसमें प्रदेश की हर महिला का बैंक खाता खुलवाकर उसमें कुछ पैसा सरकार को देना था. साल 2009 में गहलोत सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया. वहीं, वसुंधरा सरकार ने राजीव गांधी सेवा केंद्रों का नाम बदलकर अटल सेवा केंद्र कर दिया. कांग्रेस सरकार बनने के बाद अटल सेवा केंद्रों का नाम बदलकर राजीव गांधी सेवा केंद्र कर दिया गया. गहलोत सरकार के समय रिफाइनरी प्रोजेक्ट का भी रिव्यू किया था.
 

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