प्याज की खेती करने वाले किसान पैदावार में वृद्धि करने के लिए क्या कुछ नहीं करते. फिर भी कई बार किसानों को उचित पैदावार नहीं मिल पाता है. इसके कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से एक है प्याज के कंदों के आकार में कमी. कंद का आकार जितना बड़ा होगा उतना ही किसान को फायदा होगा. प्याज के कंद यानी गांठ के आकार में वृद्धि के लिए पौधों का हरा-भरा एवं स्वस्थ होना आवश्यक है. इसके साथ ही पौधों में पोषक तत्वों की कमी होने से भी कंदों के आकार पर विपरीत असर होता है. अगर आप प्याज की खेती कर रहे हैं तो कंद के आकार में वृद्धि के लिए उर्वरकों के संतुलित उपयोग और रोगों का निदान करना जरूरी है.
अगर किसान ने अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाई है और उसकी उसके पास रिपोर्ट है तो उसी खाद को डालें जिसकी कमी है. नाइट्रोजन और फास्फोरस के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी नजरंदाज न करें. ऐसा करेंगे तो फसल को पूरा पोषक तत्व मिलेगा और ग्रोथ अच्छी होगी. किसान ध्यान दें कि प्याज की खेती 70 से 80 दिन की हो जाए तो कोई फर्टिलाइजर न डालें. अगर आप इतने वक्त बाद खाद डालते हैं तो उसको प्रोसेसिंग करके पौधे को पहुंचने तक ज्यादा लेट हो जाता है. इसलिए आपको मेडिसिन को पानी में घोलकर उसको सिंचाई करना जरूरी हो जाता है. तभी आप का पौधा मेडिसिन पा सकता है और ग्रोथ भी कर सकता है.
दोस्तों प्याज की खेती के 90 दिन के अंदर अगर आपके प्याज की फसल अच्छी है. पौधे के पत्ते हरे भरे हैं. कोई पौधा मरा हुआ नहीं है. देखने में अच्छा है तो आपको अलग से दूसरा कोई फर्टिलाइजर देने की जरूरत नहीं है. सिर्फ एक ही फर्टिलाइजर दीजिए और आपका जो प्याज की गांठ का ग्रोथ हो जाएगा. अगर ऐसा नहीं है तब कृषि वैज्ञानिकों की सलाह लेकर कोई स्प्रे करिए.
प्याज की खेती में आपको नियमित रूप से पानी देना होगा. इससे आपके पौधों की ग्रोथ होती है. पर्याप्त पानी मिलेगा तो ग्रोथ अच्छी होगी. हालांकि कांदा मतलब प्याज की खेती कम पानी में होती है. फिर पानी तो चाहिए ही. संतुलित पानी और संतुलित उर्वरक मिलेगा तो अच्छा रहेगा. कम पानी मिलेगा तो खेत की मिट्टी हार्ड हो जाएगी और आपके प्याज की ग्रोथ नहीं हो पाएगी.
प्याज को नाइट्रोजन की अच्छी खासी आवश्यकता होती है. नाइट्रोजन आधारित उर्वरक (अमोनियम सल्फेट या अमोनियम नाइट्रेट) प्रति बीस फीट पंक्ति में एक कप की दर से लगाया जाना चाहिए. पहला उर्वरक अप्लीकेशन रोपण के लगभग तीन सप्ताह बाद होना चाहिए और फिर हर 2 से 3 सप्ताह में इसे पौधों को देना चाहिए.
पैदावार में वृद्धि के लिए बुवाई के करीब 30 दिनों बाद खड़ी फसल में यूरिया का छिड़काव करें. अच्छी फसल के लिए प्रति एकड़ खेत में 3-4 टन कंपोस्ट खाद मिलाएं. साथ ही खरपतवार का नियंत्रण भी करें. कंद में वृद्धि के लिए खरपतवार पर नियंत्रण करना आवश्यक है. खरपतवार की अधिकता होने पर पौधों को उचित मात्रा में पोषक तत्व नहीं मिलते हैं.
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