दक्षिण और पश्चिम भारत में आम तैयार हो गए हैं जबकि उत्तर भारत के कई हिस्सों में अब आम के पेड़ों पर मंजर आना शुरू हुआ है. इसलिए यह खबर ऐसे किसानों के बड़े काम की है जिनके आम के पेड़ों में अब मंजर लगना शुरू हुआ है. मंजरों की सुरक्षा नहीं हो पाने के कारण फलन बहुत कम हो जाता है या कभी-कभी नहीं भी होता है.
मंजर आने के बाद कीट भी लगने शुरू हो जाते हैं. ऐसे समय में किसानों को आम के मंजर की देखरेख शुरू कर देनी चाहिए. मंजरों पर मधुआ कीट (मैंगो हापर), दहिया कीट (मिलीबग) एवं पाउडरी मिल्ड्यू और एंथ्रकनोज जैसे बीमारियों और कीटों का तेजी से हमला होता है.
इसलिए मंजरों की सुरक्षा के लिए सही समय पर तीन बार स्प्रे करना जरूरी होता है. क्योंकि अगर मंजर का मैनेजमेंट ठीक से नहीं किया गया तो उत्पादन पर इसका बहुत बुरा असर पड़ सकता है. आम के मंजर का सही मैनेजमेंट होगा तब फल बड़े और चमकदार होंगे.
आम फलों का राजा जरूर है लेकिन इसके फलों का स्वाद आपको तब मिलेगा जब आप इसकी बागवानी की ठीक तरीके से देखभाल करेंगे.
.बागवानी क्षेत्र में काम करने वाले कृषि वैज्ञानिक समय-समय पर लगने वाले आम के रोगों के नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी करते रहते हैं. उन पर ध्यान रखें. कृषि वैज्ञानिक अनुसार आम में पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले किसी एक अनुशंसित कीटनाशक का करें. पहला छिड़काव इस तरह से किया जाता है कि कीटनाशक पेड़ के छाल के दरारों में छिपे मधुआ कीट तक पहुंचे. मंजर के समय बूंदाबादी हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनालोज का स्प्रे करने की सलाह दी गई है.
दहिया कीट यानी मिलीबग कंट्रोल करने के लिए कीटनाशक के तैयार घोल में कोई स्टीकर जरूर मिला देना चाहिए. फल एवं मंजर को गिरने से बचाने के लिए दूसरे एवं तीसरे स्प्रे में कीटनाशक के तैयार घोल के साथ अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसिड 4.5 एसएल का चार मिली लीटर प्रति 10 लीटर की दर से अप्लाई करना चाहिए.
दूसरे स्प्रे में सल्फर 80 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण तीन ग्राम प्रति लीटर घोल की दर से मिलाकर स्प्रे करना लाभकारी बताया गया है. अल्फा नेपथाईल एसीटिक एसीड 4.5 एसएल का छिड़काव में अनुशंसित निर्धारित मात्रा से अधिक होने पर मंजर जल जाता है. इस बात का खास ध्यान रखें. नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के वैज्ञानिक से इस बारे में सलाह ली जा सकती है. आम एक ऐसा फल है जिसमें रोग बहुत लगते हैं इसलिए इसकी बागवानी है तो समय-समय पर विशेषज्ञों से राय लेते रहें.
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