भारत में बाजरा खरीफ की बहुत महत्वपूर्ण फसल है. बाजरे की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर बोने, उपयुक्त खाद देने , समय पर पौध संरक्षण उपाय और साथ ही सही किसमों का चयन करना जरूरी है. इसकी खेती से भी किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. जानिए ऐसी ही अच्छी किस्मों के बारे में.
एम एच 169 - यह किस्म मध्यम ऊँचाई 165 सेंटीमीटर तथा चमकीले पत्तों की होती है. इस किस्म के सिट्टे (बालियाँ) कसे हुए होते हैं और परागण पीले रंग के होते हैं. 80 से 85 दिन की मध्यम अवधि में पकने वाली, दानों की औसत पैदावार 20 से 30 क्विण्टल प्रति हैक्टेयर है. यह किस्म जोगिया रोग रोधी और मध्यम सूखा सहन करने की क्षमता रखती है
आर एच बी 173 - इस किस्म में लगभग 49 दिन में फूल आ जाते है. पकाव अवधि लगभग 79 दिन, मध्यम उंचाई वाली किस्म, सिट्टे ठोस और बेलनाकार होते हैं. यह किस्म जौगिया रोग से प्रतिरोधी दानें की औसत पैदावार 31 क्विंटल एवं चारे की उपज लगभग 78 क्विंटल, प्रति हैंक्टर है.
आर एच बी 173 - इस किस्म में लगभग 49 दिन में फूल आ जाते है. पकाव अवधि लगभग 79 दिन, मध्यम उंचाई वाली किस्म, सिट्टे ठोस और बेलनाकार होते हैं. यह किस्म जौगिया रोग से प्रतिरोधी दानें की औसत पैदावार 31 क्विंटल एवं चारे की उपज लगभग 78 क्विंटल, प्रति हैंक्टर है.
एच.एच.बी. 299 - बाजरे की यह किस्म 80-81 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बाजरे की यह किस्म प्रमुख बीमारियों व कीटों के लिए प्रतिरोधी है.बाजरा की इस किस्म से 30 से 32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है.
आर.एच.बी. 223 - बाजरे की यह किस्म 70-71 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बाजरे की यह किस्म जोगिया रोग रोधी एवं सूखा सहनशील है. बाजरा की इस किस्म से 28 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से उपज प्राप्त की जा सकती है.
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