देश में मिर्च एक महत्वपूर्ण मसाला एवं नगदी फसल है. इसकी खेती खरीफ और रबी दोनों सीजन में होती है. इसके अलावा अन्य सीजन में भी इसकी खेती होती है. वहीं रबी की फसल के लिए सितंबर से अक्टूबर माह में इसकी खेती होती है. इसकी खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. जानिए मिर्च की ऐसी ही अच्छी किस्मों के बारे में.
मिर्ची की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
पूसा ज्वाला किस्म -
हरी मिर्च की एक खास वैरायटी है. इस किस्म के पौधे बौने और झाड़ीनुमा होते हैं. ये मिर्च हल्के हरे रंग की होती है. पुसा ज्वाला वैरायटी किस्म कीट और मकौड़ा प्रतिरोधक होती है. इस किस्म की औसतन पैदावार 34 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. वहीं यह किस्म 130 से 150 दिन में पक कर तैयार हो जाती है.
काशी अर्ली किस्म -
मिर्च की इस किस्म के पौधे 60 से 75 सेंटीमीटर लंबे और छोटी गांठों वाले होते हैं. ये किस्म बुवाई के 45 दिनों के अंदर तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. वहीं इस हरे मिर्च का उत्पादन 300 से 350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है.
जाहवार मिर्च 148 किस्म-
मिर्च की यह उन्नत किस्म जल्द पक जाती है, जोकि कम तीखी होती है. इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 85 से 100 क्विंटल हरी और लगभग 18 से 23 क्विंटल सूखी मिर्च प्राप्त हो जाती है.
तेजस्विनी किस्म-
इस किस्म के मिर्च की फलियां मध्यम आकार की होती है. लंबाई लगभग 10 सेंटीमीटर लंबे होते हैं. फसल 75 दिनों में पहली बार तोड़ने लायक हो जाती है. हरे फल का उत्पादन औसतन 200 से 250 क्विंटल तक होता है.
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