किसानों ने अब मरुधरा में बड़े पैमाने पर नेपियर घास उगाने की ठानी है. इस घास की खासियत यह है कि एक बार उगाने के बाद तीन साल तक दोबारा उगाने की चिंता दूर हो जाती है. इतना ही नहीं इससे दुधारू पशुओं को साल भर पर्याप्त घास भी मिलती है. साथ ही यह घास पशुओं के दूध को बढ़ाने में भी मददगार है. नेपियर घास में दूध उत्पादन बढ़ाने और पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं.
नेपियर घास को बोने के लिए बीज का प्रयोग नहीं किया जाता, बल्कि घास के डंठल का प्रयोग किया जाता है. इसे नेपियर स्टिक कहते हैं. इस डंठल को खेत में डेढ़ से दो फीट की दूरी पर लगाया जाता है. एक बीघे में लगभग चार हजार डंठलों की आवश्यकता होती है. नेपियर घास फरवरी से मार्च और जुलाई से अक्टूबर में लगाई जाती है. घास की पहली कटाई बुआई के 60-65 दिन बाद की जाती है. इसके बाद प्रत्येक कटाई 30-35 दिन में हो जाती है.
नेपियर घास, जिसे सदाबहार हरा चारा भी कहा जाता है, एक बारहमासी चारा फसल है. इसके पौधे गन्ने की तरह लंबाई में बढ़ते हैं. इसे हाथी घास के नाम से भी जाना जाता है. हाइब्रिड नेपियर घास अधिक पौष्टिक एवं उत्पादक है. पशुओं को नेपियर के साथ रिजका, बरसीम या अन्य चारा या दाना व खली देनी चाहिए. बारहमासी फसल होने के कारण इसकी खेती सर्दी, गर्मी और बरसात किसी भी मौसम में की जा सकती है.
गर्मियों की धूप और हल्की बारिश नेपियर के तीव्र विकास के लिए एकदम सही है. सर्दियों में इसकी वृद्धि कुछ धीमी होती है. यदि सिंचाई की सुविधा हो तो जड़दार कलमों की रोपाई फरवरी से जुलाई के बीच भी की जा सकती है. वर्षा ऋतु में बुआई करने पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. अन्य मौसम में बुआई के 20-25 दिन बाद तक हल्की सिंचाई करनी चाहिए. पानी से भरे खेत नेपियर के लिए अच्छे नहीं हैं.
नेपियर घास की उन्नत किस्में पूसा जायंट, एनबी-21, सीओ-1, सीओ-3, आईजीएफआरआई-3, आईजीएफआरआई-6, आईजीएफआरआई-7, आईजीएफआरआई-10, यशवन्त, स्वातिका, गजराज, संकर-1, संकर-2 और शक्ति आदि है. इनका वार्षिक उपज 90 से 300 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है. उत्पादन की मात्रा सबसे अधिक इस बात पर निर्भर करेगी कि नेपियर घास की खेती व्यावसायिक रूप से कैसे की जाती है. एनबी-21 को बहुत तेजी से बढ़ने वाला और स्वातिका को ठंढ प्रतिरोधी कहा जाता है.
इस घास को कम पानी में भी उगाया जा सकता है. इसलिए यह किसान के लिए बहुत फायदेमंद है. दुधारू पशु को नेपियर घास देने के बाद अधिक मात्रा में खाल या कड़ी देने की आवश्यकता नहीं होती है. यदि वह उसे लगातार नेपियर घास खिलाता रहे तो पशु में दूध उत्पादन भी बढ़ता है. एक बार लगाने के बाद यह घास लगातार 10 साल तक अपने जानवरों को दी जा सकती है.
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