सहजन को मोरिंगा के नाम से भी जाना जाता है. इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसलिए इसका उपयोग कई तरह से किया जाता है. वही सहजन की आधुनिक तरीके से करने पर किसानों को काफी अच्छा लाभ प्राप्त होता है. सहजन की सबसे खास बात ये है कि इसकी खेती बंजर जमीन में भी हो सकती है. इसके अलावा इसकी खेती अन्य फसलों के साथ भी आसानी से की खेती की जा सकती है. ऐसे में आइए आज हम आपको सहजन की प्रमुख उन्नत क़िस्मों के बारे में विस्तार से बताते हैं
सहजन की खेती को नकदी और व्यावसायिक लाभ देने वाली फसल भी माना जाता है. बाजार में सहजन के फूल और छोटे-छोटे सहजन से लेकर बड़े सहजन के फलों का अच्छा दाम मिलता है. इसके अलावा सहजन के बीजों से तेल निकाल कर उसे भी उपयोग में लाया जाता है.
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सहजन की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यह पौधारोपण के 4 से 6 महीने के बाद फल देना शुरू कर देता है और इससे लगभग 10 साल तक फल मिलता रहता है. वही इसकी खेती से किसान एक साल में आसानी से दो फसल प्राप्त कर सकते हैं. फली गहरे हरे रंग की 45 से 60 इंच बड़ी होती है और इसका गुदा मुलायम, स्वादिष्ट होता है और इसकी गुणवत्ता भी बहुत अच्छी होती है. हालांकि पौधे की पैदावार और गुणवत्ता, मौसम, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई की सुविधा और पौधों के बीच दूरी पर निर्भर करता है.
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फली का रंग गहरा हरा और स्वादिष्ट होता है. वही पौधा लगभग तीन से चार साल तक उपज देता है. अगर पौधे से उपज सही समय पर नहीं लिया जाए, तो इसका बाजार मूल्य कम हो जाता है.
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सहजन की एक बहुत उन्नत किस्म है. अन्य किस्मों की तुलना में इसकी फली का स्वाद काफी बेहतर होता है. वही इस किस्म के पौधों
से लगातार चार साल तक फली प्राप्त होती रहती है. पौधों में 90 से 100 दिनों बाद फूल आना शुरू हो जाता है. इसकी फली की लंबाई लगभग 45 से 75 सेंटीमीटर की होती है. साथ ही इस किस्म से साल में लगभग चार बार फली की प्राप्ति होती है. यही वजह है की इसकी खेती किसानों के फायदेमंद है.
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सहजन की इस किस्म के फली का रंग हरा होता है और खाने में स्वादिष्ट होता है. वही फली की लंबाई 45 से 75 सेमी होती है. यह किस्म अच्छी किस्म की फल देती है, लेकिन इसमे ज्यादा पानी की आवश्यकता पड़ती है.
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