दूध का कारोबार करने के लिए अक्सर गाय या भैंस या फिर दोनों ही पाली जाती हैं. भैंस के दूध के मुकाबले गाय के दूध और उससे बने घी को ज्यादा बेहतर माना जाता है. हालांकि बिक्री भैंस के दूध की ज्यादा होती है. देश में बहुत सारे ऐसे डेयरी फार्म हैं जो पूरी तरह गायों से चल रहे हैं. वहां सिर्फ गाय ही पाली जाती हैं.
दूध के लिए गिर, साहीवाल, कांकरेज, हरियाणा समेत गायों की 53 नस्ल देश के अलग-अलग राज्यों में पाली जाती हैं. अगर कोई छोटी या बड़ी किसी भी तरह की डेयरी शुरू करना चाहता है तो सबसे पहले जरूरी है कि अच्छी नस्ल के दुधारू पशु खरीदे जाएं.
एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु अगर प्योर नस्ल का होगा तो वो दूध भी ज्यादा देगा और बीमार भी कम पड़ेगा. इसलिए जब भी पशु हॉट में या सीधे डेयरी फार्म पर पशु खरीदने जाएं तो सबसे पहले हर एक पॉइंट पर पशु की खूब जांच-परख कर लें. मुमकिन हो तो दो-तीन दिन फार्म पर रुककर ही पशु की निगरानी भी कर लें.
गाय खरीदते समय ये ध्यान दें कि गाय के सभी अंग ठीक हों, प्रभावशाली शैली और चाल के साथ आकर्षक व्यक्तित्व हो. पशु का शरीर पच्चर के आकार का होना चाहिए. आंखें चमकदार और गर्दन पतली होनी चाहिए. इसके अलावा थन पेट से अच्छी तरह जुड़े होने चाहिए.
इसके अलावा गाय की थन की त्वचा में रक्त वाली नसों का अच्छा नेटवर्क होना चाहिए. थन के सभी चार चौथाई भाग अच्छी तरह से सीमांकित होने चाहिए. वहीं, पशु खरीदते वक्त उसका चयन उसकी नस्ल के इतिहास और दूध उत्पादन क्षमता के आधार पर भी किया जाना चाहिए.
जिस पशुपालक से पशु खरीद रहे हैं उससे खरीदे जाने वाले पशु की फैमिली का रिकॉर्ड ले लें. इसके अलावा डेयरी गाय खरीदनी हो तो एक या दो बार बच्चा दे चुकी गाय ही खरीदें. एक से 5वीं बार बच्चा देने वाली गाय ही ज्यादा दूध देती हैं. जिस गाय ने बच्चा दिया हो उसे बच्चा देने के एक महीने बाद ही खरीदें.
गाय खरीदने से पहले दोनों वक्त उसका पूरा दूध निकलवा कर देखें कि वो कितना दूध दे रही है. दुधारू पशु खरीदने के लिए सबसे अच्छा वक्त अक्टूबर और नवंबर का माना जाता है. बच्चा देने के 90 दिन बाद तक दूध देने की अधिकतम उपज देखी जाती है.
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