कृषि वैज्ञानिक अजय चौरसिया बताते हैं कि कृषि ड्रोन खेती के आधुनिक उपकरणों में से एक है.इसके उपयोग से किसानों को खेती में काफी मदद मिल सकती है.ड्रोन से बड़े क्षेत्रफल में कुछ ही मिनटों में उर्वरकों एवं कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है.इससे न सिर्फ लागत में कमी आती है, बल्कि समय की बचत भी होती है.आमतौर पर कृषि क्षेत्र में ड्रोन का उपयोग मैपिंग, सर्वेक्षण और कीटनाशक छिड़काव के लिए होता है.
कृषि ड्रोन दूसरे ड्रोन से अलग नहीं है.इस छोटे मानवरहित विमान को किसानों की जरूरतों के हिसाब से बदला जा सकता है.अब कई ड्रोन विशेष रूप से कृषि उपयोग के लिए ही विकसित किए जा रहे हैं.ड्रोन के माध्यम से फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करना आसान हो गया है.यह हानिकारक रसायनों से मानव संपर्क को भी सीमित करता है.
ड्रोन-निषेध क्षेत्रों (हवाई अड्डे या इलेक्ट्रॉनिक स्टेशन) के नजदीक में उड़ान भरने से पहले इस बात की पुष्टि कर लें कि डीजीसीए द्वारा उड़ान भरने की अनुमति प्राप्त कर ली गई है.
उड़ान से पहले यह जरूर सुनिश्चित करें कि ड्रोन अच्छी स्थिति में है.कोई भाग क्षतिग्रस्त न हो और सुरक्षित रूप से उड़ान भरने के लिए तैयार हो.
विद्युत हाइपर टेंशन तारों के पास वाले क्षेत्रों में ड्रोन स्प्रेयर से छिड़काव नहीं करना चाहिए.
खेत की मेड़ों पर वृक्षों के पास सावधानी से छिड़काव करना चाहिए.
खराब मौसम जैसे कोहरा एवं तेज हवा चलने की स्थिति में ड्रोन स्प्रेयर से छिड़काव नहीं करना चाहिए.
सुबह एवं शाम का समय स्प्रेयर से छिड़काव करने का उत्तम समय होता है.
उड़ान के दौरान ड्रोन को अपनी दृश्य सीमा के भीतर ही रखें.
ड्रोन संचालन में एयरक्राफ्ट एक्ट 1937 के नियम 15ए और नियम 133ए के प्रावधान के अन्तर्गत नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं को पूरा करना होता है.नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा 25 अगस्त, 2021 को ड्रोन नियमों को अधिसूचित किया गया है.नागर विमानन महानिदेशालय (डी.जी.सी.ए) द्वारा भारतीय एयरस्पेस को तीन जोनों में बांटा गया है:
रेड जोनः उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र येलो जोनः 200 फीट तक 8 कि.मी. के दायरे तक एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) की अनुमति जरूरी है और 200 फीट तक 8 से 12 कि.मी. के दायरे के बीच किसी अनुमति की जरूरत नहीं है.
ग्रीन जोनः 400 फीट तक किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है.इन जोनों की विस्तृत जानकारी नागर विमानन महानिदेशालय की डिजिटल स्काई (https://digitalsky.dgca.gov.in) वेबसाइट पर उपलब्ध है.इन जोन को देखकर ही ड्रोन संचालन की योजना बनाई जाती है.इस वेबसाइट पर प्रमाणीकृत ड्रोन पायलट की सूची, ड्रोन पंजीकरण, नियम एवं अधिनियमों की विस्तृत जानकारियां उपलब्ध हैं.
इसे खरीदने पर सरकार सब्सिडी दे रही है. लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. उन शर्तों को पूरा किए बिना कोई भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. ड्रोन का इस्तेमाल आज लगभग हर क्षेत्र में हो रहा है. खासतौर पर खेती, फोटोग्राफी और रक्षा क्षेत्र में इसका इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है.
अगर आप लाइसेंस और परमिट ले चुके हैं तो भी आपको ड्रोन उड़ाने के लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा. जिसमें पहली शर्त यह है कि किसी भी प्रतिबंधित क्षेत्र में आप नहीं उड़ा सकते. ड्रोन चलाने का जो लाइसेंस मिलता है उसके लिए 18 से 65 साल की उम्र होनी चाहिए. इच्छुक व्यक्ति को नागरिक उड्डयन महानिदेशक द्वारा निर्धारित प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना होगा. ड्रोन लाइसेंस आवेदक के पास कम से कम दसवीं या सामान्य स्तर के कोई दूसरी डिग्री होनी चाहिए. हाईटेंशन लाइन या मोबाइल टावर वाली जगहों पर ड्रोन उड़ाना है तो अनुमति लेनी होगी. ग्रीन जोन के क्षेत्र में ड्रोन के माध्यम से दवाई छिड़काव नहीं कर सकेंगे. ऐसा नियम बना है.
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