राशन में मिलने वाले अनाज को सरकार कई तरीके से सुरक्षित रखती है. अनाजों की क्वालिटी भी बरकरार रखनी होती है ताकि लाभार्थी को जब दिया जाए तो उसमें कोई शिकायत न रहे. लेकिन क्या आपने सोचा है कि बड़े-बड़े गोदामों में इन अनाजों की क्वालिटी को कैसे मेंटेन करते हैं.
गोदामों में खाद्यान्नों की क्वालिटी बरकरार रखने के लिए सरकार कई तरीके अपनाती है. इन खाद्यान्नों में कोई कीट न लगे, कोई रोग-बीमारी न हो या किसी तरह का संक्रमण न हो, इसके लिए सरकार वैज्ञानिक पद्धति अपनाती है.
सरकार हरसंभव यह प्रयास करती है कि कीटों से अनाज कर उसकी क्वालिटी बनाई रखी जाए. कीट नियंत्रण के अलग-अलग उपाय होते हैं जिनमें एक है धूमन प्रक्रिया. इस प्रणाली में गोदामों को पूरी तरह से गैसीय कीटनाशक से भर दिया जाता है. इसके विषाक्त प्रभाव से कीट नष्ट हो जाते हैं.
धूमन प्रक्रिया में गोदामों में गैस भरने के लिए एल्युमिनियम फॉस्फाइड यानी कि AIP की गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक जहरीला केमिकल है जो कीटों को मारकर अनाजों को सुरक्षित रखता है. इसा प्रभाव बहुत कारगर होता है. इसलिए धूमन प्रोसेस में एआईपी का प्रयोग होता है.
एआईपी का पाउडर गोदाम में अनाज के स्टॉक के चारों ओर छिड़क दिया जाता है. अनाजों पर इसे छिड़करने के बाद चारों ओर से अनाजों की ढेरी को प्लास्टिक की चादरों से कवर कर दिया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि एआईपी की गैस बाहर नहीं निकल सके.
इसके बाद 5-8 के दिन के बाद गोदाम में अनाज के स्टॉक को डी-गैस किया जाता है. इसका मतलब है कि अनाजों की ढेरी से गैस की मात्रा को हटाया जाता है. इसके बाद अनाज के स्टॉक की अच्छे से सफाई की जाती है ताकि उसमें मृत कीटों और एआईए केमिकल का कोई अंश न रहे.
गोदामों में अनाज की क्वालिटी को बरकार रखने के लिए ये पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसकी बराबर मॉनिटरिंग की जाती है. अनाज को डी-गैस करने के बाद क्वालिटी की चेकिंग होती है. क्वालिटी चेक के बाद ही अनाज को गोदाम से बाहर निकानले या इस्तेमाल में लेने की अनुमति दी जाती है.
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