देश में कृषि के साथ-साथ पशुपालन और मछली पालन भी किया जाता है. इसका उद्देश्य आय को बढ़ाना है. अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो आज भी आय का मुख्य स्रोत काफी हद तक कृषि, पशुपालन और मछली पालन पर निर्भर है. ऐसे में इस काम को ज्यादा लोगों तक पहुंचाने और इसे बढ़ावा देने के लिए यूपी सरकार की ओर से एक योजना चलाई जा रही है. जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है.
उत्तर प्रदेश में महिलाओं को मछली पालन से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की योजना बनाई गई है. इसके लिए एयिरेशन सिस्टम इस्टैब्लिशमेंट नाम से एक योजना शुरू की गई है. इस योजना के तहत मछली पालन के लिए महिलाओं को सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जाएगी.
सरकार ने इसके लिए कुछ मानक तय किए हैं. इन मानकों को पूरा करने वाली महिलाएं ही इस योजना का लाभ उठाकर बेहतर मुनाफा कमा सकती हैं. रामपुर जिले में भी मत्स्य विभाग ने महिला मत्स्य पालकों के लिए एयिरेशन सिस्टम एस्टेब्लिशमेंट नाम से नई योजना शुरू की है.
इस योजना के अन्तर्गत मत्स्य विभाग की विभागीय वेबसाइट https://fisheries.up.gov.in पर जाकर 19 अगस्त तक आनलाइन आवेदन किया जा सकता है. इस योजना में मत्स्य बीज के लिए महिला मत्स्य कृषक, जिनके तालाब का पट्टा अवधि कम से कम पांच वर्ष हो, हैचरी स्वामी, निजी तालाब एवं पट्टा तालाब आवेदन कर सकते हैं.
महिला मत्स्य कृषक को 0.5 हेक्टेयर के तालाब के लिए एक 2 हॉर्स पावर का क्याड पैडल नेल एरिएटर तथा 01 हेक्टेयर या उससे बड़े तालाब के लिए अधिकतम दो एरिएटर दिये जायेंगे. जिनके तालाब की वर्तमान मत्स्य उत्पादकता कम से कम 4-5 टन प्रति हेक्टेयर है, उन्हें उत्पादकता बढ़ाने के लिए अनुदान दिया जायेगा.
मत्स्य कृषक के तालाब पर विद्युत कनेक्शन अथवा जनरेटर की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, तभी योजना का लाभ मिल सकेगा. एयिरेशन सिस्टम स्थापना योजना का लाभ लेने के लिए तालाबों के ऐसे सभी पट्टाधारक जिनकी पट्टा अवधि कम से कम 5 वर्ष शेष है, वे भी आवेदन कर सकते हैं.
आवेदक की प्रति इकाई लागत 0.75 लाख रुपये पर सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. जबकि अनुसूचित जाति की महिलाओं को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा. मत्स्य विभाग की वेबसाइट पर जाकर भी अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
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