अपने देश में सबसे खास व्यावसायिक फसल गन्ने का दायरा बहुत बड़ा है. गन्ना भारत की पुरानी फसलों में से एक है. देश में गन्ने की लगभग 50 लाख हेक्टेयर अधिक जमीन पर खेती की जाती है, जिसमें से सबसे ज्यादा रकबा अकेले उत्तर प्रदेश का तकरीबन 28 लाख हेक्टेयर है. देश की माली हालत को मजबूत करने और करोड़ों किसानों को पैसे से मजबूत करने में गन्ने की खेती, चीनी और गुड़ उद्योगों का खास योगदान है.
इससे देश के करोड़ों किसानों और मजदूरों को रोजगार मिल रहा है. मूल रूप से गुड़ चीनी से जुड़ी इस फसल के साथ झंझट भी तमाम होते हैं. गन्ना बोने वाले किसानों को हमेशा मेहनत करना पड़ता है और हमेशा अपनी फसल को लेकर सतर्क रहना पड़ता है. इस समय शरदकालीन गन्ना से लेकर पेड़ी गन्ना और बसंतकालीन गन्ना खेतों में खड़ी होगी. इन गन्ना फसलों में तमाम तरह के हानिकारक कीट किसानों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए जरूरी है कि हानिकारक कीटों की पहचान कर सही समय पर नियंत्रण किया जाए.
गन्ने की फसल को हानिकारक कीटों से बचाने के लिए सही समय पर नियंत्रण की जरूरत होती है. इसके लिए सबसे पहले हानिकारक कीटों की पहचान करें. गन्ने की फसल पर सामान्यतः चींटियों, कीटों और लार्वा आदि के लक्षणों का ध्यान दें. हानिकारक कीटों को नियंत्रित करने के लिए सही समय पर उपयुक्त कीटनाशक का इस्तेमाल करें. यह कीटनाशक उन्हें नियंत्रित करेगा और फसल को सुरक्षित रखेगा.
गन्ने के पौधों की संवेदनशीलता पर ध्यान दें. अगर आपको लगता है कि कोई अनियंत्रित कीट है, तो तुरंत रोकथाम के उपाय करें और उन्नत प्रौद्योगिकी के उपयोग से नियंत्रण करें. हमेशा सतर्क रहें और अपनी फसल की निगरानी करते रहें. नियंत्रण के लिए समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लें. इन उपायों का पालन करके गन्ने की फसल को हानिकारक कीटों से बचाया जा सकता है और फसल से फायदा लिया जा सकता है. मार्च से लेकर सितंबर तक गन्ना को हानिकारक कीटों से सबसे ज्यादा नुकसान होता है.
ब्लैक बग, जिसे काला चिटका भी कहा जाता है, गन्ने के पौधों पर अप्रैल से जून तक अधिक सक्रिय रहता है और पत्तियों का रस चूसता है. इससे फसल दूर से पीली दिखाई देती है. इसकी रोकथाम के लिए, क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई0सी0 1.5 लीटर प्रति हेक्टेयर 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया जा सकता है या फिर क्यूनालफास 25 प्रतिशत ईसी 1.5 लीटर को 800-1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव किया जा सकता है.
चोटी बेधक कीट, जिसे टॉप सूट बोरर भी कहा जाता है, यह कीट गन्ने की फसल के लिए बहुत हानिकारक है. इस कीट का प्रकोप मार्च से सितंबर तक गन्ने की फसल में सभी अवस्थाओं पर होता है, जिससे पहुंचाई गई क्षति के कारण गन्ने की पत्तियाँ सूख जाती हैं और पौधे मुरझा जाते हैं, जिसे डेड हार्ट कहा जाता है.
गन्ने की मध्य सिरा में एक लाल धारी सी पड़ जाती है, और विकसित गन्ने में झाड़ीनुमा सिरा से बन जाते हैं। इस हानिकारक कीट के रोकथाम के लिए, इससे प्रभावित गन्ने को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए. इस कीट से बचने के लिए, मार्च से जुलाई तक बताए जा रहे रसायनिक नियंत्रण में से किसी एक उपाय को अपनाना चाहिए, जैसे क्लोरपाइरीफास 20 ई0सी0 का 1.5 लीटर दवा 800-1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव प्रति हेक्टेयर की दर से करना चाहिए या कार्बोफ्यूरान 50 प्रतिशत प्रति हेक्टेयर की दर से बुराई करना चाहिए.
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