स्ट्रॉबेरी की खेती ठंडे जलवायु में की जाती है. इसका पौधा कुछ ही महीनों में फल देने लायक हो जाता है. भारत में स्ट्रॉबेरी की खेती कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ऊपरी हिस्सों में की जाती है. इसे पहाड़ी और ठंडे इलाकों में बोया जाता है. इन राज्यों के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में भी किसान अब स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं.
स्ट्रॉबेरी शीतोष्ण जलवायु में पाये जाने वाला एक फल है. लेकिन अब हमारें कृषि वैज्ञानिकों ने अपने प्रयासों से इसकी विभिन्न प्रकार की किस्मों को विकसित किया है. जिसे गर्म वाले जगहों में भी अब किसान इसकी खेती कर रहे हैं. कई राज्यों में किसान कृषि विभाग की सहायता से स्ट्रॉबेरी की खेती कर अच्छा मुनाफा ले रहे हैं.
कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि पूरी दुनिया में स्ट्रॉबेरी की अलग-अलग 600 किस्में मौजूद हैं. हालांकि भारत में व्यावासायिक खेती करने वाले किसान कमारोसा, चांडलर, ओफ्रा, ब्लैक मोर, फॉक्स जैसी किस्मों का इस्तेमाल करते हैं. भारत के मौसम के लिहास से ये किस्में सही रहती हैं.स्ट्राबेरी की रोपाई सितम्बर से नवम्बर तक की जा सकती है. ऐसे में किसान खरीफ सीजन में इसकी खेती कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं
स्ट्रॉबेरी की खेती करने के लिए इसके खेत को बुवाई से एक सप्ताह पहले खेत की 3 से 4 बार अच्छी से जुताई करें. इसके बाद 75 टन सड़ी हुई गोबर की खाद् प्रति हेक्टेयर की दरर से खेत मे अच्छे तरीके से मिलाए. कीट एवं रोग से बचाने के लिए खेत में पोटाश और फास्फोरस भी मिट्टी परीक्षण के आधार पर मिलाए. तैयार खेत में 25 से 30 सेंटीमीटर ऊंची क्यारियां बनाएं. देखभाल तथा विभिन्न कार्य करने के लिए 40 से 50 सेंटीमीटर चौड़ा रास्ता भी बनाएं. क्यारियों में ड्रेप एरिगेशन की पाइपलाइन बिछा दे.
स्ट्रॉबेरी शीतोष्ण जलवायु की फसल है. इसकी खेती के लिए 5 से 6.5 पीएच वाली मिट्टी एवं 7 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना गया है.इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है.
स्ट्रॉबेरी की खेती में वैज्ञानिक तकनीक एवं स्ट्रॉबेरी की प्रमुख किस्मों का प्रयोग कर उष्णकटिबंधीय जलवायु में भी उगाया जा सकता है. व्यावसायिक रूप से खेती के लिए स्ट्रॉबेरी की ओफ्रा, चांडलर, ब्लेक मोर, स्वीट चार्ली, कमारोसा, फेयर फाक्स, सिसकेफ, एलिस्ता आदि प्रमुख किस्में का इस्तेमाल किया जा सकता है. इनमें से अधिकतम किस्में बाहर से मगवाई जाती है.
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