
राजस्थान के धौलपुर जिले में इन दिनों एक खूबसूरत नज़ारा देखने को मिल रहा है. सात समुंदर पार करके और हज़ारों किलोमीटर दूर से आए प्रवासी पक्षी यहां पहुंच गए हैं. धौलपुर के आठ बड़े जलाशय इन पक्षियों के लिए स्वर्ग जैसे बन गए हैं. हर तरफ उनकी चहचहाहट सुनाई देती है और बच्चे-बड़े सभी इन्हें देखने पहुंच रहे हैं.

चंबल नदी के किनारे इस समय सबसे खास आकर्षण है इंडियन स्कीमर. स्थानीय लोग इसे पनचीरा कहते हैं. इसकी लंबी, नारंगी और मोटी चोंच इसे बहुत सुंदर बनाती है. स्कीमर हर साल यहाँ आता है और जून के बाद यह श्रीलंका और उड़ीसा के समुद्री किनारों की ओर लौट जाता है. स्कीमर को देखने बहुत से लोग नदी पर पहुंच रहे हैं.

अफ्रीका और एशिया का मशहूर और सुंदर पक्षी किंगफिशर भी धौलपुर में देखा जा रहा है. इसे आम भाषा में राम चिड़िया या किलकिला भी कहा जाता है. यह छोटा लेकिन बहुत तेज़ पक्षी है और मछली पकड़ने में माहिर होता है. दुनिया में किंगफिशर की लगभग 87 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें नीले और सफेद रंग के किंगफिशर खास माने जाते हैं.

धौलपुर के तालाब-ए-शाही, खलती, निभी का ताल, हुसैनसागर, विश्नौंदा ताल, रामसागर, उर्मिला सागर और आंगई बांध जैसे आठ जलाशयों पर हजारों पक्षी डेरा जमाए हुए हैं. यहाँ इंडियन पोंड हेरोन, पेंटेड स्टॉर्क, एशियन स्पूनबिल, व्हाइट स्पूनबिल, कॉमन टील, स्पॉट-बिल्ड डक और कई तरह की बतखें दिखाई दे रही हैं. इन पक्षियों को देखने पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं.

धौलपुर में आने वाले ये प्रवासी पक्षी बहुत दूर-दूर देशों से यात्रा करके आते हैं. ये साइबेरिया, यूरोप, कज़ाखिस्तान, तिब्बत और बांग्लादेश जैसे ठंडे इलाकों से यहाँ पहुंचते हैं. यहाँ का मौसम और खाना इनके लिए आरामदायक होता है, इसलिए ये हर साल सर्दियों में यहाँ का रुख करते हैं.

इन दिनों चंबल नदी में मगरमच्छ, घड़ियाल और कछुए भी आसानी से दिख जाते हैं. जब सुबह धूप निकलती है, तो ये नदी के बीच बने छोटे-छोटे टापुओं और किनारों पर आकर धूप सेंकते हैं और कई घंटे वहीं आराम करते हैं. धूप खत्म होने पर ये वापस नदी की गहराई में चले जाते हैं. इन्हें देखने के लिए लोग चंबल सफारी का आनंद भी ले रहे हैं.

प्रवासी पक्षी हर साल यहाँ इसलिए आते हैं क्योंकि धौलपुर में उन्हें आराम, खाना और सुरक्षित जगह मिलती है. यहाँ का मौसम सर्दियों में उनके लिए बिल्कुल सही होता है. यहाँ वे आराम से घोंसले बनाते हैं, प्रजनन करते हैं और गर्मी शुरू होते ही वापस अपने-अपने देश लौट जाते हैं. (उमेश मिश्रा का इनपुट)
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