खेती में ज्यादा पैसे के निवेश को लोग घाटे का सौदा मानते हैं और पैसा लगाने से कतराते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ यूपी के देवरिया जिले के रहने वाले कमलेश मिश्रा के साथ. दरअसल कमलेश ने बीकॉम की पढ़ाई करने के बाद कई जगह नौकरी की जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने खेती-किसानी की तरफ रुख किया.
कमलेश मिश्रा ने दृढ़ संकल्पित होकर खेती करने का निर्णय लिया. खेती में हाथ आजमाते हुए कमलेश ने एक एकड़ में पॉलीहाउस लगाकर रंग-बिरंगे शिमला मिर्च और बीजरहित खीरे का उत्पादन करना शुरू किया. इसमें वो एक साल के भीतर पांच लाख रुपये की लागत लगाकर तीस लाख रुपये की आमदनी कर चुके हैं.
इसके लिए उन्होंने राजस्थान जाकर वहां के किसानों से पॉलीहाउस तकनीक के बारे में बातचीत की. उसके बाद रिसर्च किया और उद्यान विभाग से 50 प्रतिशत सब्सिडी लेकर खेती की शुरुआत की. वहीं डीएम अखंड प्रताप सिंह सदर ब्लॉक के तिलई बेलवा ग्राम स्थित कमलेश मिश्रा के पॉलीहाउस पहुंचे और अन्य किसानों को भी पॉलीहाउस लगाने के लिए प्रेरित किया.
कमलेश मिश्रा ने बताया कि 30 लाख रुपये कमाने के लिए लगभग 5 लाख रुपये की लागत आती है, जिमसें 90 हज़ार के इम्पोर्टेड सीड्स लगते हैं, जो नीदरलैंड की होती है. इसके अलावा जैविक खाद और गौ मूत्र से संबंधित जैविक स्प्रे की लागत लगभग 75 हज़ार रुपये आती है. वहीं मजदूरी ढाई लाख रुपये की लागत आती है.
कमलेश मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2022 मार्च में इस पॉलीहाउस स्ट्रक्चर को लगाया गया था, जिसमें 43 लाख रुपये खर्च आया था. इसमें 20 लाख रुपये उत्तर प्रदेश सरकार से सब्सिडी मिली थी. इसलिए वे चाहते हैं कि किसान पॉलीहाउस में पैसे लगा कर अत्यधिक मुनाफा कमाकर अपना जीवन बदल सकते हैं.
किसान ने बताया कि एक वर्ष में खीरे की तीन फसल उगाते हैं, जबकि रंग बिरंगे शिमला मिर्च की एक से डेढ़ फसल उगा सकते हैं. वहीं बाजारों में शिमला मिर्च लगभग डेढ़ सौ रुपये किलो तक बिकती है. साथ ही उन्होंने बताया कि वो अपनी फसल को बेचने के लिए मंडी नहीं जाते हैं. बल्कि उनके पॉलीहाउस पर ही खरीदार आते हैं और उनकी फसल बिक जाती है.
वहीं किसान कमलेश मिश्रा ने बताया कि उनका पॉलीहाउस ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर और फॉगर की सुविधा से युक्त है. वहीं खीरे का उत्पादन मल्च तकनीक से कर रहे हैं, जिसमें जमीन पर अल्ट्रावायलेट प्रोटेक्टेड सीट बिछाया जाता है और निश्चित दूरी पर खीरे की बुवाई की जाती है.
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