खरीफ सीजन में जहां किसान अपनी धान की फसल को बचाने में लगे हुए हैं. वहीं बिहार के कैमूर जिले के छेवरी गांव के किसान आनंद कुमार पांडेय ने कम अवधि वाली मेहिन धान की खेती कर मिसाल पेश की है.
किसान ने जुलाई में धान की खेती कर महज 60 दिन में धान की कटनी शुरू कर दी है. करीब छह बीघा में मात्र 60 दिनों में धान का पौधा लगाने के बाद तैयार होने वाली करिश्मा नामक किस्म धान की खेती की है.
किसान के अनुसार औसतन साढ़े तीन क्विंटल प्रति बीघा तक धान का उत्पादन होने के आसार हैं. खेती में तरक्की का नया नजरिया पेश करने का विचार इन्हें चार साल पहले आया था. उसके बाद धान की नई वैरायटी की खेती शुरू की.
आनंद कुमार ने जलवायु परिवर्तन को देखते हुए उचास वाली जमीन में कम अवधि वाले धान की खेती करने का निर्णय किया. उन्होंने कहा कि बारिश के समय में काफी बदलाव हुआ है. वहीं उचास वाले इलाके में धान की फसल को बचाना किसी चुनौती से कम नहीं था.
आनंद कुमार ने बताया कि नहर में नियमित पानी नहीं आने से कभी-कभी फसल सूख जाया करती थी. इन्हीं तमाम समस्याओं को देखते हुए कम अवधि वाले धान की खेती करने का विचार किया. किसान ने बताया कि वे पिछले चार साल से 80 से 85 दिन वाले धान की खेती कर रहे हैं.
इस धान की किस्म में ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है. इसमें कम खाद और कम रोग लगते हैं. सितंबर तक फसल काटने लायक हो जाती है. कम अवधि वाली किस्मों में करिश्मा वैरायटी धान की खेती के लिए बहुत अच्छी है.
इस धान की खेती में सप्ताह में दो बार पटवन की जरूरत होती है. इसकी खेती के दौरान केवल जमीन को गीला रखना होता है. एक एकड़ में धान का उत्पादन करीब 14 क्विंटल के आसपास हो जाता है. वहीं उत्पादन प्रति बीघा करीब साढ़े तीन क्विंटल के आसपास होता है.
बिहार के इस किसान ने आगे बताया कि साढ़े तीन क्विंटल धान में करीब दो से ढाई क्विंटल तक चावल होता है. हाल के समय में इसका चावल 2500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है. कई बार इसका भाव इससे भी अधिक मिल जाता है.
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