70 से दशक के पहले उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर प्राकृतिक खेती ही होती थी. खेती का आधार गोपालन होता था. धीरे-धीरे रासायनिक खेती के चंगुल में किसान सस्ता चला गया किसान का उत्पादन तो जरूर बढ़ा लेकिन जो फैसले पैदा होने लगी उसे खाने से पेट तो भर जाता है लेकिन पोषण नहीं मिल पाता है. इसी के चलते बीमारियां बढ़ने लगे पहले क्या मोटा अनाज खाकर लोग जहां निरोग रहते थे और खुश भी रहते थे. वह स्थिति आज धीरे-धीरे गायब से हो रही है. रायबरेली के सहजौरा इलाके की ग्रामीण महिलाएं आज भी पुराने खाने को याद करती है.
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