आममौर पर बासमती धान में पत्ती का जीवाणु झुलसा (Bacterial Leaf Blight) और झोका रोग (Blast Disease) लगता है. मजबूरी में किसान इससे निपटने के लिए ट्राइसाइक्लाजोल नामक कीटनाशक का स्प्रे करते हैं. जिसके कारण चावल में कीटनाशक की मात्रा मिलती थी और खासतौर पर यूरोपीय यूनियन के देशों से हमारा चावल वापस आ जाता था. ऐसे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा ने तीन ऐसी किस्में विकसित कीं जिनमें जीवाणु झुलसा और झोका रोग नहीं लगेगा. इन तीनों को बासमती की पुरानी किस्मों को सुधार करके रोग रोधी बनाया है. इनमें प्रति एकड़ कीटनाशकों पर 3000 रुपये तक का होने वाला खर्च बचेगा और एक्सपोर्ट में अब कोई दिक्कत नहीं आएगी. जिससे किसानों की कमाई बढ़ेगी.
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