इसमें कोई शक नहीं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक है. लेकिन, इसमें भी कोई शक नहीं है कि हम बड़े दाल आयातक भी हैं. सवाल यह है कि ऐसा विरोधाभास क्यों? जवाब यह है कि बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए दलहन फसलों की जितनी खेती होनी चाहिए थी, उस गति से रफ्तार नहीं बढ़ी. आजादी के बाद से ही हमारी पॉलिसी ऐसी रही है जिसमें गेहूं-धान की फसलों पर ज्यादा जोर दिया गया और दलहन फसलें पीछे छूट गईं. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पुराने पन्नों को पलटने पर इसे लेकर दिलचस्प जानकारी सामने आती है. जिसमें साफ पता चलता है कि क्यों हम दालें इंपोर्ट करने पर मजबूर हैं.
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