दिवाली के बाद दिल्ली की हवा एक बार फिर जहरीली हो गई है. राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर बढ़ने के साथ ही सियासी बवाल भी तेज हो गया है. आम आदमी पार्टी सरकार पर आरोप लगा रही है कि दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, वहीं बीजेपी नेता रेखा गुप्ता का दावा है कि इस बार की सरकार में हवा पहले की तुलना में बेहतर है. लेकिन, सियासत की इस धुंध के बीच एक और दिलचस्प खेल सामने आया है- हवा को मापने वाले सिस्टम में ही खामियां.
आज तक की टीम जब दिल्ली के बवाना स्थित महर्षि वाल्मीकि अस्पताल पहुंची तो वहां एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन की हकीकत कुछ और ही नजर आई. यह स्टेशन पेड़ों के घने झुरमुट के बीच स्थापित किया गया है, जबकि वैज्ञानिक मानकों के अनुसार ऐसे उपकरणों को खुले और हवादार स्थान पर लगाया जाना चाहिए, ताकि प्रदूषण के वास्तविक स्तर का सही अनुमान मिल सके. इतना ही नहीं, स्टेशन का डिस्प्ले बोर्ड करीब 200 मीटर दूर लगाया गया है और उसकी स्क्रीन भी खराब पड़ी है. उस पर यह तक पढ़ना मुश्किल है कि AQI का स्तर आखिर है क्या. यानी, जिस यंत्र से दिल्ली की हवा का हाल जानना चाहिए, वही पारदर्शिता की हवा में उलझा हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है- जब मापने की मशीनें ही सवालों के घेरे में हों, तो हवा की सच्चाई आखिर कौन बताएगा?