पश्चिम बंगाल का मालदा आम दुनिया में अपना एक खास स्थान रखता है. बाजार में हमेशा इसकी अच्छी कीमत मिलती है और इसकी मांग भी खूब होती है. इसलिए इस आम की पहचान अब वैश्विक तौर पर बनाने की कोशिश की जा रही है. इसी कोशिश के तहत अब आम पर क्यू आर कोड लगाने की तैयारी चल रही है. किसानों की इस पहल को मालदा जिला उद्यान कार्यालय का भी समर्थन मिल रहा है. उद्यान विभाग की तरफ से भी किसानों को अपने आम पर क्यू आर कोड लगाकर देश के अलग-अलग हिस्सों में और विदेशों में भेजने के लिए मदद की जाएगी. आम में क्यू आर कोड डालने के कई फायदे होंगे, क्योंकि ग्राहकों को इससे आम के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी.
आम पर लगे क्यू आर कोड को स्कैन करके आम खरीदने वाले ग्राहक चुटकियों में आम की पूरी जानकारी हासिल कर पाएंगे. इससे मालदा आम के ब्रांड को प्रमोशन करने में मदद मिलेगी. इस क्यू आर कोड को सबसे पहली बार देबकुमार घोष ने इस्तेमाल किया था. वो पश्चिम बंगाल के रतुआ में आम की खेती करते हैं. वर्तमान में जनपथ रोड दिल्ली में आयोजित मालदा आम मेला सह हैंडलूम हैंडिक्राफ्ट एक्सपो में पहली बार आम में क्यू आर कोड का इस्तेमाल किया गया. किसानों का मानना है कि इससे किसानों को भी बहुत फायदा मिलने वाला है. इससे आम को बड़े पैमाने पर पहचान मिलेगी.
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आम पर लगे क्यू आर कोड से खरीदार को आम के बारे में विस्तृत जानकारी मिल जाएगी. इसमें आम की किस्म के बारे में, आम किस बागान से तोड़कर लाया गया है जैसी पूरी जानकारी दी जाएगी. इतना ही नहीं, क्यू आर कोड से यह भी पता चलेगा कि आम को किस तकनीक से उगाया गया है. आम जैविक तरीके उगाया गया है या नहीं और आम की खेती में किसी केमिकल या पेस्टीसाइड का इस्तेमाल किया गया है या नहीं, इसके बार में जानकारी मिल जाएगी. आम को जिस बागान से लाया गया है, वह किस क्षेत्र में स्थित है. यह भी जानकारी क्यू आर कोड के जरिए मिल जाएगी. विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस कदम से भारत और देश के बाहर भी आम की ब्रांडिंग करने में मदद मिलेगी.
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अभी किसान आम की तीन किस्मों लखनलाल, हिमसागर और फाजिल आम के लिए क्यू आर कोड का इस्तेमाल कर सकते हैं. इन तीनों किस्मों को जीआई टैग मिला हुआ है. जिला उद्यान विभाग के उप निदेशक ने कहा कि इस विधि से कोई भी किसान आम के बारे में गलत जानकारी नहीं डाल सकता है क्योंकि विभाग की तरफ से पहले उस किसान का वेरीफिकेशन किया जाएगा. इसके बाद उस किसान के पास क्यू आर कोड के लाइसेंस के लिए जीआई टैग भेजा जाएगा. जो किसान उद्यान विभाग के रजिसस्टर्ड हैं, उन किसानों को विभाग की तरफ से मदद की जाएगा. फिलहाल दिल्ली के मेले में जो आम बेचे जा रहे हैं उसमें कोड का स्टिकर लगा हुआ है जिससे ग्राहकों को पूरी जानकारी मिल जाएगी.
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