पंजाब के किसान ने शुरू किया गन्ने का स्टार्टअप, गन्ने के टुकड़ों की पैकेजिंग कर लोगों तक पहुंचा रहे असली स्वाद

पंजाब के किसान ने शुरू किया गन्ने का स्टार्टअप, गन्ने के टुकड़ों की पैकेजिंग कर लोगों तक पहुंचा रहे असली स्वाद

कच्चा गन्ना लोग खाना पसंद करते हैं पर इसे से छीलने की झंझट के कारण कई लोग इसे खाने से बचते हैं. पंजाब के किसान गुरप्रीत सिंह ने गन्ना छीलने के झंझट से लोगों को मुक्ति दिला दी है. उन्होंने गन्ना स्टार्टअप शुरू किया है और इससे वह मोटी कमाई भी कर रहे हैं.

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पंजाब के किसान ने शुरू किया गन्ने का स्टार्टअप, गन्ने के टुकड़ों की पैकेजिंग कर लोगों तक पहुंचा रहे असली स्वादपंजाब के किसान ने शुरू किया गन्ने का स्टार्टअप (सांकेतिक तस्वीर)

देश के कई घरों में आज भी लोग खाने के बाद कुछ मीठा खाना पसंद करते हैं. हालांकि, यह परंपरा धीरे-धीरे कम होती जा रही है. लेकिन, पंजाब के एक गन्ना किसान ने अब इस परंपरा में एक नई जान डालने का काम किया है. उन्होंने अपने गन्ना स्टार्टअप के जरिए एक नई शुरूआत की है. इसके जरिए वो लोगों तक छिला हुआ गन्ना छोटे-छोटे टुकड़ों (बाइट) में पैकेट में पैक कर पहुंचा रहे हैं. यह लोगों को आसानी से घर में बिना छीले गन्ना खाने का स्वाद दे रहा है. इस स्टार्टअप से वह अच्छी-खासी कमाई भी कर रहे हैं. 

कच्चा गन्ना लोग खाना पसंद करते हैं पर इसे से छीलने की झंझट के कारण कई लोग इसे नहीं खाना खाना चाहते हैं. फरीदकोट के सुखन-वाला गांव के रहने वाले किसान गुरप्रीत सिंह ने गन्ना छीलने के झंझट से लोगों को मुक्ति दिला दी है. यह गन्ने के छीलकर और छोटे टुकड़ों में काटकर पैकेजिंग करके बेचते हैं. इस लोगों को गन्ना खाने का एक नया अनुभव मिल रहा है. दरअसल, किसान गुरप्रीत सिंह ने इसे गन्नेरियन प्रोडक्ट के  नाम से मार्केट में उतारा है. इसकी खासियत यह है कि इसका स्वाद बिलकुल पारंपरिक गन्ने की तरह होता है. इस गन्ने को खाने के लिए छीलने की नहीं सिर्फ पैकेट खोलने की जरूरत होती है.   

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शुरू किया रस का कारोबार

किसान गुरप्रीत सिंह का एक सफल किसान से सफल उद्यमी बनने का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने साल 2013 में अपनी पांच एकड़ जमीन में गन्ने की खेती की शुरुआत की थी. पहले तो उन्होंने गन्ना मिलों में गन्ना बेचने की शुरुआत की लेकिन समय पर पैसा नहीं मिलना जैसी और भी समस्याओं के कारण उन्होंने मिल में गन्ना देना छोड़ दिया और जूस विक्रेताओं को गन्ना बेचना शुरू किया. इसके बाद उन्होंने खुद का गन्ने का रस वाला व्यापार शुरू किया. यह फैसला उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ. हालांकि, इसमें भी उन्हें बहुत सफलता नहीं मिली. 

फरीदकोट और बठिंडा में बेचे जाते हैं बाइट्स

पर बेहतर संभावनाओं की तलाश के साथ ही उन्होंने गुड़ का उत्पादन शुरू किया. इस दौरान उन्होंने एक ऐसी प्रक्रिया विकसित की जिससे गुड़ की सेल्फ लाइफ पांच साल तक बढ़ गई. इसके बाद उन्होंने कई प्रकार के गुड़ बनाकर बेचें पर इससे भी बहुत अधिक लाभ नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने सोचा की लोगों तक कच्चा गन्ना ही पहुंचाया जाए. इसके बाद उन्होंने फिर अपने नए उत्पादन बनाने को लेकर भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लिया फिर गन्ने की बाइट्स को लॉन्च किया. जिसका नाम विरासत गुड़ रखा गया है. फिलहाल यह उत्पाद फरीदकोट और बठिंडा में बेचे जाते हैं. अब लुधियाना और चंडीगढ़ में इसे बेचने की तैयारी चल रही है. 

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120 और 300 ग्राम का होता है पैकेट

गुरप्रीत बताते हैं कि एक एकड़ से 350-400 क्विंटल गन्ने का उत्पादन होता है. जिसमें से करीब 40 फीसदी गन्ने के रुप में मिलता है. बाकी छिलका और गन्ने का कम रसदार हिस्सा होता है. गन्ने की कटाई हाथ से की जाती है, जबकि काटने और पैकिंग का काम मशीनों से किया जाता है. गन्ने की कटाई के बाद उसे 120 ग्राम और 300 ग्राम के पैकेट में भरा जाता है. जिसकी कीमत 20 और 30 रुपये हैं. जब इन्हें फ्रिज में रखा जाता है तो ये बाइट एक महीने तक यह ताजा रहते हैं. उन्होंने बताया कि एक प्रक्रिया के तहत गन्ने के बाइट को तैयार किया जाता है. इसके साथ ही गुरप्रीत कीटनाशक मुक्त तरीकों से गन्ना उगाते हैं और दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं.

 

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