छत्तीसगढ़ और ओडिशा में इस समय प्रचंड गर्मी का प्रकोप देखा जा रहा है. हालांकि अब कुछ दिनों में इन दोनों ही राज्यों में मॉनसून की शुरुआत हो जाएगी और इसके साथ ही खरीफ फसलों और सब्जियों की खेती शुरू हो जाएगी. भारी गर्मी के बाद बारिश होती है और बारिश के दिनों में खेतों में जमजमाव होता है. इसके अलावा गरमा धान की खेती के बाद किसान इसकी कटाई और भंडारण करते हैं. ऐसे में किसानों को इस समय के दौरान किए जाने वाले कृषि कार्य और खेतों में बरती जाने वाली सावधानियों की पूरी जानकारी होनी चाहिए. तब जाकर ही किसानों को अच्छी उपज हासिल होती है और अच्छा मुनाफा होता है. ऐसे में भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की तरफ से किसानों के लिए सलाह जारी की गई है. इन सलाहों का पालन करके किसान अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं.
धान की खेती को ओडिशा के किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों ने गरमा धाम की कटाई कर ली है, वे इसे सुरक्षित स्थान पर रख दें. अगर किसान लंबे समय तक के लिए धान का भंडारण करना करना चाहते हैं तो इसे दो से तीन दिनों तक धूप में सुखाएं और ध्यान रखें कि धान में नमी की मात्रा 11-14 प्रतिशत के बीच हो. इसके बाद ही इसे रखना चाहिए. लंबे समय तक धान की क्वालिटी, खुशबू और स्वाद बनाए रखने के लिए धान को सुपर ग्रेन बैग में स्टोर करें. इसके अलावा नुकसान से बचने के लिए सुरक्षित जगह पर रखें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खेतों में धान के अवशेषों को न जलाएं क्योंकि इससे न केवल पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि गंभीर प्रदूषण भी होता है.
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किसानों को धान की फसल के अवशेष को मिट्टी में मिलाने की सलाह दी जाती है. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है. मिट्टी के वाष्पीकरण को कम करने और मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए इसका उपयोग मल्चिंग के रूप में किया जा सकता है. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ धान के बीज तैयार कर लें. आईएमडी की सलाह में किसानों को धान की विभिन्न किस्मों के बारे में भी जानकारी दी गई है जिसमें कहा गया है कि ऊपरी जमीन में किसान खंडगिरि, सहभागी धन, मंदाकिनी, नवीन, जीबी-1, बीना-11, एमटीयू-1010, सत्यभामा, स्वर्णा जै किस्मों की खती कर सकते हैं.
मध्यम जमीन में जैसे एमटीयू 1156, एमटीयू 1153, लालाट, उन्नत लालाट, मनस्विनी, एमटीयू-1001, संपदा, गीतांजलि, नुआ अचरमती आदि की खेती की जा सकती है. छोटी जोत वाली जमीन में जैसे प्रत्यक्षा, स्वर्णा, स्वर्णा सब-1, मृणालिनी, हशांता, रानी धन, पूजा, एमटीयू-1064, सरला, दुर्गा, प्रधान धन आदि की खेती की जा सकती है.
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छत्तीसगढ़ में धान की खेती को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि किसान गरमा धान की कटाई कर लें. ग्रीष्मकालीन धान किसानों को सलाह दी जाती है कि वे तना छेदक कीट के नियंत्रण के लिए खेत के पास फेरोमोन ट्रैप और लाइट ट्रैप लगाएं. कीट को नियंत्रित करने के लिए किसान और भी उपायों को अपना सकते हैं. वहीं खरीफ सीजन को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि ख़रीफ़ की फसल बोने से पहले खेतों में उपयोग होने वाली सभी कृषि मशीनरी और उपकरणों को ठीक कर लें. खरपतवार, मिट्टी से पैदा होने वाली बीमारियों और कीड़ों को खत्म करने के लिए मिट्टी को एमबी हल से साफ करें और इसे पॉलिथीन से ढक दें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ में बोई जाने वाली धान की फसल के लिए उन्नतशील किस्मों के बीजों की व्यवस्था करें. जैसे:- कर्मामहसूरी, महामाया, दंतेश्वरी, समलेश्वरी, इंदिरा सुगंधित धन-1.
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