तालाब के ऊपर खेती और नाव से सब्जियों की तुड़ाई! चौंकिए मत, जुगाड़ से खेती करता है ओडिशा का ये किसान

तालाब के ऊपर खेती और नाव से सब्जियों की तुड़ाई! चौंकिए मत, जुगाड़ से खेती करता है ओडिशा का ये किसान

हिरोद पटेल एक किसान परिवार से आते हैं. सेना से रिटायर होने के बाद पिता ने खेती शुरू की तो हिरोद भी पिता के साथ उनके काम में लग गए. हालांकि इससे पहले उन्होंने कई और भी कार्यों के लिए कोशिश की लेकिन हो नहीं सका. इसके बाद पूरी तरह से खेती में आ गए. आज हिरोद 15 एकड़ जमीन में खेती और मछलीपालन करते हैं

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नए जुगाड़ से खेती करता है ओडिशा का ये किसान, इनकम भी है भरपूरकिसान ऑफ द वीक

कृषि के क्षेत्र में देश के युवा काफी संख्या में आगे आ रहे हैं और इससे इस क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की उम्मीद जगी है. ये ऐसे युवा हैं जो ना सिर्फ खेती कर रहे हैं बल्कि अपने जुगाड़ से लोगों को आश्चर्यचकित भी कर रहे हैं. वे किसानों को एक नई सीख भी दे रहे हैं. ओडिशा के सुंदरगढ़ में रहने वाले एक ऐसे ही युवा किसान हैं जिन्होंने अपनी सूझबूझ से बेहतर खेती की है और आज अपने क्षेत्र के किसानों के लिए एक मिसाल बन गए हैं. उन्होंने एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming) का एक बेहतरीन मॉडल पेश किया है जो उन्होंने खुद अपने जुगाड़ से बनाया है. इससे आज वो अच्छा उत्पादन हासिल कर रहे हैं.

सुंदरगढ़ जिले के टांगरपाली ब्लॉक के रतनपुर गांव में रहने वाले इस युवा किसान का नाम हिरोद पटेल है. हिरोद बताते हैं कि उन्होंने साल 2007 से खेती की शुरुआत की थी. पर सीखते-सीखते समय लगा. साल 2015 से वो पूरी तरह से खेती में आ गए. इसके बाद से वो खुद से खेती में नई चीजों को प्रयोग करते आ रहे हैं. एकीकृत कृषि प्रणाली का जो मॉडल उन्होंने तैयार किया है वो बहुत शानदार है. इस मॉडल में वो तालाब में मछली पालन करते हैं और तालाब की मेड़ पर लौकी की और अन्य बेल वाली सब्जियों की खेती करते हैं. तालाब के ऊपर जीआई पाइप से एक शेड की तरह मचान बना दिया है जिसमें सब्जियां फलती हैं. इससे तालाब में गंदगी भी नहीं होती है. सब्जी की पैदावार भी अच्छी होती है. यह मॉडल उन्होंने अपने घर के पीछे आधे एकड़ जमीन पर तैयार किया है. 

15 एकड़ में करते हैं खेती

हिरोद पटेल एक किसान परिवार से आते हैं. सेना से रिटायर होने के बाद पिता ने खेती शुरू की तो हिरोद भी पिता के साथ उनके काम में लग गए. हालांकि इससे पहले उन्होंने कई और भी कार्यों के लिए कोशिश की लेकिन हो नहीं सका. इसके बाद पूरी तरह से खेती में आ गए. आज हिरोद 15 एकड़ जमीन में खेती और मछलीपालन करते हैं. इनमें से सिर्फ दो एकड़ जमीन उन्होंने धान की खेती के लिए लीज में ली है. बाकी सब अपनी जमीन है. उनके पास छोटे बड़े चार तालाब हैं जिसमें रोहू, कतला और अन्य प्रकार की मछलियां पालते हैं. मछली पालन से भी उन्हें अच्छा फायदा होता है. 

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ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई

इसके अलावा बाकी जमीन में बागवानी और सब्जियों की खेती करते हैं. उनके पास एक एकड़ में केले के फार्म हैं. तीन एकड़ में उन्होंने सहजन की खेती की है. एक एकड़ में उन्होंने आम की बागवानी की है. इस तरह से पूरे 12 एकड़ में सिंचाई करने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम लगा हुआ है. सिंचाई करने के लिए वो तालाब, छोटे गड्ढे और बोरिंग का इस्तेमाल करते हैं. तालाब में पूरे साल पानी रहता है इसलिए उन्हें सिंचाई करने में परेशानी नहीं होती है. इन सब चीजों के अलावा वो मुर्गी पालन, फूलों की खेती और गौ पालन भी करते हैं. मछली पालन करने के लिए उन्हें 2019 में कृषि विभाग की तरफ उन्हें तीन तालाब मिले हैं. 

80,000 की मछली की बिक्री

तालाब के ऊपर लौकी उगाने वाला उनका कंसेप्ट काफी चर्चा में आया. तालाब के ऊपर मचान बनाकर उन्होंने कद्दू की खेती की थी. इससे पहली तु़ड़ाई में नौ 35,000 रुपये की लौकी बेच चुके हैं अब फिर से उनकी लौकी टूटने के लिए तैयार है. इसके साथ ही मछली पालन के जरिए एक साल में वो लगभग 80,000 रुपये की कमाई कर रहे हैं. साथ ही उनके खेत में नारियल के भी पेड़ लगे हुए हैं.

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8-10 लाख की कमाई

उन्होंने बताया कि इस तरह से सब्जी, मछली, फल और दूध बेचकर वो एक साल में 8 से 10 लाख रुपये की कमाई करते हैं. वो मानते हैं कि आने वाले समय में उनकी कमाई और बढ़ेगी. सुंदरगढ़ जैसी जगह से खेती में अच्छी कमाई करके और रोजगार हासिल कर हिरोद ने उन हजारों युवाओं के लिए एक मॉडल पेश किया है जो काम की तलाश में पलायन कर जाते हैं. हाल ही में उन्हें 'सफल युवा प्रगतिशील किसान' का पुरस्कार भी मिला है. 

 

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