पंजाब के पटियाला जिले के किसान जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं. इसके खिलाफ किसानों ले सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे. दरअसल पटियाला में नॉर्दन पटियाला बाईपास का निर्माण हो रहा है. इसके लिए 300 एकड़ कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है. जिसका किसान विरोध कर रहे हैं. इस विरोध में लगभग 24 गांवों के किसान शामिल हैं. किसानों ने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि भूमि अधिग्रहण के नियमों में सुधार करने की जरूरत है. अगर सुधार नहीं किया जाएगा तो किसान आंदोलन को और तेज करेंगे.
विरोध कर रहे किसानों का आरोप है की उत्तरी पटियाला बाईपास के निर्माण के लिए जो भूमि अधिग्रहित की जा रही है, उसके बदले किसानों को जो मुआवजा राशि दी जा रही है वो काफी कम है. किसानों को दी जा रही मुआवजा राशि यहां के जमीन की बाजार मूल्य से भी कम है. इसलिए किसान इसका विरोध कर रहे हैं. आंदोलनकारी किसानों ने इस मामले में अन्य कृषि और किसान संगठनों से भी समर्थन करने की अपील की है. किसानों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार न्यूनतम मुआवजे पर जोर दे रही है क्योंकि भूमि अधिग्रहण लागत का 50 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाना है.
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हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार दौन कलां किसान सुखम सिंह ने बताया कि किसानों को मिल रहा कम मुआवजा से संबंधित मामला केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष भी उठाया गया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि 50 प्रतिशत मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाना है. उन्होंने कहा कि 2011 में टोरेंट पावर द्वारा 4.62 करोड़ रुपये प्रति एकड़ और रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन का अधिग्रहण किया गया था. साथ ही मंत्री में पूछा की दक्षिणी पटियाला बाईपास के लिए 2016 में प्रति एकड़ 2.8 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी, तो अब दरें क्यों कम की गई हैं. उत्तरी पटियाला बाईपास राजपुरा से बठिंडा तक राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना का हिस्सा है.
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पटियाला में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए किसानों नमे कहा कि उत्तरी पटियाला बाईपास परियोजना को अक्तूबर 2021 में मंजूरी दी गई थी, इसके एक महीने बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई थी. इसके बाद किसानों को उनकी जमीनों को बेचने से रोक दिया गया. इसके बाद, किसानों के एक वर्ग ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया और अदालत ने परियोजना को फिर से शुरू करने का आदेश दिया.पटियाला के डीसी शौकत अहमद पर्रे ने बताया कि जिला राजस्व अधिकारी द्वारा मुआवजा सरकारी मानदंडों के अनुसार तय किया गया है और यह पूर्व में दिए गए मुआवजे से अधिक है. उन्होंने कहा कि सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए भूमि की विकास क्षमता को देखते हुए मुआवजा दिया जा रहा है.
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