राजस्थान में किसानों के संगठन किसान महापंचायत ने मुख्य सचिव सुधांश पंत को पत्र लिखा है. पत्र में किसान महापंचायत ने कई मुद्दों को उठाया है. किसान महापंचायत ने कहा है कि टोंक जिले के कृषि खरीद केंद्रों पर सरसों बेचने वाले किसानों को राजफेड (राज्य सरकार) द्वारा पिछले महीने से भुगतान नहीं किया गया है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. साथ ही पत्र में कहा गया है कि किसानों का भुगतान पिछले महीने से बकाया है. ऐसे में महापंचायत ने कुछ कृषि उपज खरीद केंद्रों पर कथित अनियमितताओं की जांच की भी मांग की है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में आरोप लगाया गया है कि टोंक जिले में फसल माफिया द्वारा गैर-एफएक्यू (उचित औसत गुणवत्ता) सरसों को विभिन्न खरीद केंद्रों पर ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है. उपार्जन केंद्रों पर उपार्जन एवं विक्रय सहकारी समितियों के प्रबंधकों एवं प्रभारियों की मिलीभगत से ठेकेदार वे एजेंसियों द्वारा दूसरे किसानों के नाम पर पंजीकरण करवाकर उपार्जन केंद्रों पर नॉन एफएक्यू सरसों बेची जा रही है. सहकारी समितियां टोंक के उप रजिस्ट्रार से ऐसी खरीद रोकने के लिए कई बार अनुरोध किया जा चुका है. इसके बावजूद भी उप रजिस्ट्रार द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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किसान महापंचायत के युवा अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद चौधरी ने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि गोदाम में कृषि उपज जमा करने में देरी के कारण किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिल रहा है. किसानों को 10 अप्रैल को खरीदी गई सरसों का भुगतान नहीं किया गया है. इससे पहले, टोंक के जिला प्रशासन ने नेवई कृषि उपज खरीद केंद्र पर कथित अनियमितताओं के संबंध में किसान महापंचायत की शिकायतों की जांच शुरू की थी.
वहीं, कुछ देर पहले खबर सामने आई थी कि हरियाणा की मंडियों में खरीद के साथ-साथ गेहूं का उठान भी तेजी के साथ किया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि फरीदाबाद और पलवल जिले में खरीदा गया लगभग 95 फीसदी गेहूं एजेंसियों द्वारा उठा लिया गया है. खास बात यह है इन दनों जिलों की मंडियों में अभी भी 1.56 लाख क्विंटल खरीदा गया गेहूं पड़ा हुआ है. अधिकारियों का कहना है कि एक हफ्ते के भीतर बचे हुए गेहूं का भी उठान कर लिया जाएगा.
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