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बिहार में मोटे अनाज की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा, कृषि विभाग ने शुरू की पहल

बिहार में मोटे अनाज की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा, कृषि विभाग ने शुरू की पहल

मोटे अनाज की खेती करने के कई फायदे होते हैं. सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसकी खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. यही कारण है कि  यह टिकाऊ खेती की श्रेणी में आता है. खेती की लागत कम होती है इसलिए किसानों को अधिक फायदा भी होता है.

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बिहार में मोटे अनाज की खेती को मिलेगा बढ़ावा (सांकेतिक तस्वीर) बिहार में मोटे अनाज की खेती को मिलेगा बढ़ावा (सांकेतिक तस्वीर)

देश में मोटे अजान की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसी तर्ज पर बिहार में भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए काम किया जा रहा है. इसके लिए कृषि विभाग ने कवायद शुरू कर दी है. मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की कृषि विभाग की योजना के तहत मुजफ्फरपुर सहित उत्तर बिहार में किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. राज्य में मोटे अनाज की खेती का रकबा कम हो गया है, इसलिए इसे फिर से आगे लाने का जिम्मा कृषि विभाग को सौंपा गया है. 

मोटे अनाज की खेती करने के कई फायदे होते हैं. सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसकी खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. यही कारण है कि यह टिकाऊ खेती की श्रेणी में आता है. खेती की लागत कम होती है, इसलिए किसानों को अधिक फायदा भी होता है. गौरतलब है कि बिहार सरकार इस साल को मोटे अनाज के साल के तौर पर मना रही है. इसलिए मोटे अनाज की खेती पर खासा जोर दिया जा रहा है. बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, शिवहर, दरभंगा सीतामढ़ी और मधुबनी जिले में मोटे अनाज की खूब खेती होती है. इसे देखते हुए ही बिहार सरकार ने चौथे कृषि रोडमैम के मसौदे में मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने का प्लान तैयार किया है. 

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अप्रैल से शुरू होगा रोडमैप

कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कृषि रोडमैप अप्रैल महीने से राज्य में लागू कर दिया जाएगा. बिहार में मोटे अनाज की खेती को उन क्षेत्रों में बढ़ावा दिया जाएगा जिन क्षेत्रों में बारिश कम होती है. इसके लिए क्लस्टर का गठन किया जाएगा और उसी में मोटे अनाज की खेती की जाएगी. एक कलस्टर 25 हेक्टेयर का होगा. प्रत्येक प्रखंड में क्लस्टर तैयार किया जाएगा. कृषि विभाग के प्रस्ताव पर मोटे अनाज की खेती के लिए सभी जिलों ने प्लान तैयार कर लिया है और कृषि विभाग को भेज दिया है. मुजफ्फरपुर जिले से भी प्लान तैयार कर लिया गया है और कृशि विभाग को भेज दिया गया है. विभाग से स्वीकृति मिलने के बाद खरीफ सीजन से मोटे अनाज की खेती शुरू की जाएगी. 

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मोटे अनाज के सेवन से फायदा

मोटे अनाज का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है पर समय के साथ यह अनाज लोगों की थाली से गायब हो गया था. अब फिर से इसे वापस लाने की तैयारी चल रही है. इससे कुपोषण से निपटने में काफी सहायता मिल सकती है. मोटे अनाज के उपभोग को भी बढ़ावा देने के लिए इससे तरह-तरह के व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं, ताकि लोगों का रुझान इसकी तरफ बढ़ सके. मोटे अनाज की खेती में एक और फायदा यह होता है कि दूसरी फसलों की तुलना में इसमें कम खाद और कम पानी की आवश्यकता होती है. इससे लागत में 20 फीसदी तक की कमी आती है.