मखाना की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी मांग में तेजी आ रही है. इसके कारण युवा इसकी खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. यही वजह है कि इसकी खेती रोजगार का एक बेहतर विकल्प बन रही है. जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वोकल फॉर लोकल का नारा दिया था और एक मुहिम के तौर पर इसकी शुरुआत की थी, तब से कई लोग इस मुहिम से जुड़ते चले आ रहे हैं . स्थानीय स्तर पर अलग-अलग कामों के जरिए रोजगार के नए अवसर बना रहे हैं. इसी तर्ज पर लोकल फॉर वोकल के मंत्र को अपनाते हुए बिहार के रहने वाले मनीष आंनद ने मखाने की खेती की शुरुआत की थी.
बिहार का मिथिला क्षेत्र मखाने की खेती के लिए जाना जाता है. दुनिया में एक्सपोर्ट होने वाला 80 फीसदी मखाना बिहार के इसी क्षेत्र से जाता है. इस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति मखाने की खेती लिए उपयुक्त है क्योंकि मखाने की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है और इस इलाके में मखाने की खेती के लिए पर्याप्त पानी मिल जाता है. इससे पैदावार अच्छी होती है. मनीष कुमार ने क्षेत्र की इसी खासियत को पहचाना और इसके बाद से यहां मखाने की खेती की शुरुआत की.
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मनीष आनंद ने दुनिया भर के अलग-अलग देशों में रहकर काम किया है. 20 साल तक अपने देश के बाहर रहने के बाद जब वे भारत लौटे तब उन्होंने अपने पैतृक गांव में मखाने की खेती करने का प्लान तैयार किया और मखाने की खेती करने लगे. इतना ही नहीं, इस खेती के जरिए उन्होंने फॉर्म टू प्लैटर की शुरुआत की. इस तरह से उन्होंने खेती को उद्योग का रूप दे दिया. इसके जरिए आज वे यहां के मखाने के एक नई पहचान दे रहे हैं. साथ ही यहां पर सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रहे हैं. मनीष आनंद ने अपने उद्योग में पुरुषों से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया है.
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मखाने की मांग आज दुनिया भर में काफी ज्यादा है. जबकि मांग की तुलना में पैदावार बहुत कम है. यही कारण है कि राज्य और केंद्र दोनों की सरकारें मखाने की खेती को लेकर काफी सक्रिय नजर आती हैं. मनीष आनंद बताते हैं कि उन्होंने जब इस व्यवसाय की शुरुआत की तो उन्हें सरकार का भी काफी समर्थन मिला. पहले लोग मखाने का इस्तेमाल सिर्फ खीर बनाने के लिए किया करते थे. लेकिन आज इसके इस्तेमाल का दायरा बढ़ा है. अब लोग इसे स्नैक्स और शेक के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. साथ ही खीर बनाते हैं और ड्राई फ्रूट के तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं. डॉक्टर भी अच्छे सेहत के लिए मखाना खाने की सलाह देते हैं.(नीतू झा की रिपोर्ट)
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