MP में बीजेपी को प्रचंड बहुमत... अब क्या शिवराज ही होंगे CM का चेहरा?

MP में बीजेपी को प्रचंड बहुमत... अब क्या शिवराज ही होंगे CM का चेहरा?

सीएम शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश में लोकप्रियता को देखते हुए लगता नहीं है कि उन्हें पार्टी सीएम पद से महरूम रखेगी. पर अगर केंद्रीय नेतृत्व से उनके संबंध, उनका पांचवा टर्म उनके लिए मुसीबत बन सकता है.

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MP में बीजेपी को प्रचंड बहुमत... अब क्या शिवराज ही होंगे CM का चेहरा?MP में बीजेपी को प्रचंड बहुमत

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड विजय हासिल करते दिख रही है. अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा. क्योंकि बीजेपी इश बार राज्य में बीना मुख्यमंत्री के चेहरे के चुनाव में उतरी थी. वहीं यह सवाल जटिल इसलिए हो गया है क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने इस चुनाव में जिस तरह मेहनत की है और जिस तरह उनकी महिला कल्याण वाली नीतियों की पॉपुलरिटी देखने को मिली है, उससे किस तरह पार्टी उन्हें किनारे लगाएगी?

कर्नाटक में बसवराज बोमई को फेस बनाकर हाथ जला बैठी बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश में सीएम फेस इसलिए नहीं बनाया था ताकि एंटी इंकंबैंसी को खत्म किया जा सके. पर यहां तो उल्टा हो गया. जनता विशेषकर महिलाएं शिवराज चौहान की योजनाओं से इतनी प्रभावित हुईं कि बीजेपी को भर-भरकर वोट दिया है. 

क्या शिवराज बनेंगे सीएम

पर पार्टी ने जिसे सीएम फेस नहीं बनाया था, क्या पांचवी बार सीएम के लिए शिवराज सिंह का नाम प्रस्तावित करेगी? तो फिर शिवराज नहीं तो और कौन है दावेदार? शिवराज सीएम नहीं बनते हैं तो सबसे ऊपर किसका नाम चल रहा हैं. शिवराज अगर सीएम नहीं बनते हैं तो पार्टी ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह, कैलाश विजयवर्गीय, वीडी शर्मा आदि का नाम लिया जा रहा है. आइये जानते हैं सबसे अधिक संभावना किसके मुख्यमंत्री बनने की हो सकती है. पर बीजेपी में हाल के दिनों में ऐसी परिपाटी बनी है कि ऐन मौके पर पार्टी सरप्राइज देती रही है. फिर भी आईए देखते हैं कुछ नामों को उनके प्लस और माइनस पॉइंट्स के साथ सीएम बनाया जा सकता है.

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नतीजों ने शिवराज को सॉलिड बना दिया

सीएम शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश में लोकप्रियता को देखते हुए लगता नहीं है कि उन्हें पार्टी सीएम पद से महरूम रखेगी. पर अगर केंद्रीय नेतृत्व से उनके संबंध, उनका पांचवा टर्म उनके लिए मुसीबत बन सकता है. एक बात और है जैसा कि पत्रकार दिनेश गुप्ता कहते हैं कि हो सकता है पार्टी 2024 लोकसभा चुनावों तक शिवराज सिंह चौहान को सीएम बनाए रखे. उसके बाद शिवराज को केंद्र की राजनीति में भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है. शिवराज की उम्र अभी अपने समकक्ष नेताओं के मुकाबले कम होने से इसका फायदा उन्हें मिल सकता है. गुप्ता कहते हैं कि RSS हमेशा से 20 साल आगे की सोचकर फैसले लिया करती है. इसलिए हो सकता है कि मध्यप्रदेश में भी ऐसा ही हो. 

1. ज्योतिरादित्य सिंधिया

जिस तरह आज सुबह-सुबह ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद चलकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास मिलने पहुंचे. उससे तो यही लगता है कि कहीं न कहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी पार्टी में सीएम पद के लिए चल रहा है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि सिंधिया की बहुत पहले से तमन्ना है कि वो प्रदेश के सीएम बनें. कांग्रेस को छोड़ने का कारण भी यही रहा कि उन्हें सीएम नहीं बनाया गया. सिंधिया जब से बीजेपी में आएं हैं तबसे लगातार बहुत मेहनत कर रहे हैं. 

2. कैलाश विजयवर्गीय

मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के माहौल के बीच भाजपा के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय भी सीएम पद के उम्मीदवारी के लिए सुर्खियों में हैं. इंदौर-1 सीट से टिकट मिलने के बाद से विजयवर्गीय लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जैसे ये लगता है कि बस उन्हें ही सीएम बनना है. विजयवर्गीय ने एक बार इंदौर में कहा कि मैं भोपाल में बैठकर इशारा करूंगा उससे ही आपका काम हो जाएगा. इससे पहले भी उन्होंने एक बार कहा कि मैं सिर्फ विधायक बनने नहीं आया हूं. पार्टी की ओर से मुझे कुछ और बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी, बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी तो काम भी बड़ा करूंगा. 

3. नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम भी सीएम पद के दावेदारों में लिया जा रहा है. तोमर को एमपी में चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक बनाए जाने के बाद से ही इनके नाम की चर्चा थी. केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद उन्हें चुनाव लड़ने के लिए केंद्र ने भेजा तब तो ऐसा लगा जैसे उनके नाम पर मुहर ही लग गया हो. हालांकि तोमर इससे इनकार करते रहे हैं. पर इनकार तो सिंधिया भी कर रहे हैं. मुरैना में एक बार प्रेस से तोमर ने कहा कि भाजपा सामूहिक नेतृत्व वाला दल है. सबने मिलकर चुनाव लड़ा है. परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री चयन की तय प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा. 

4. वीडी शर्मा 

प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. वो एमपी की राजनीति में छुपा रुस्तम साबित हो सकते हैं. हालांकि उन्हें विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाया गया है. पर चुनाव प्रचार के दौरान कई ऐसे संकेत मिले हैं, जिसकी वजह से उनके नाम की चर्चा होती है. प्रचार के दौरान वीडी शर्मा के साथ पीएम मोदी की कानाफूसी से एमपी की राजनीति के कई महारथियों के कान खड़े हो गए हैं. इंदौर में रोड शो के दौरान पीएम के साथ सिर्फ वीडी शर्मा को देखकर उनके सीएम बनने की कयासबाजी लगाई जा रही है. 

5. कुलस्ते, प्रह्लाद पटेल के नाम भी

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने इस बार केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को मैदान में उतारा है.अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी की सरकार तक में वह मंत्री रहे हैं. शिवराज सिंह चौहान के बाद प्रदेश में वह सबसे बड़े ओबीसी नेता हैं. यह उनके लिए सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है. इसी तरह आदिवासी वोटरों को साधने के लिए भी बीजेपी एमपी में नया दांव खेल सकती है. मध्य प्रदेश में 47 विधानसभा सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है. केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को सीएम बनाकर छत्तीसगढ़ और झारखंड और आसपास कई राज्यों के आदिवासी वोटों पर बढ़त ले सकती है.इसी तरह प्रदेश की की गृहमंत्री नरोत्तम मिस्रा के कट्टर हिंदुत्व वाले तेवरों के चलते उनका नाम भी आगे बढ़ सकता है. (संयम श्रीवास्तव/ Aaj Tak.in)

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