झारखंड में ग्रामीण महिलाएं अब काफी आगे बढ़ रही हैं.खास कर ग्रामीण महिलाएं अपनी लगन और मेहनत से झारखंड की कृषि को नया आयाम दे रहे हैं. झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में उन्होंने एक उदाहरण स्थापित किया है. उन्होंने साबित कर दिया है कि वो पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं है. वो उनके साथ कंधा से कंधा मिलकर चल सकती है. दरअसल पूर्वी सिंहभूम जिले के गुड़ाबांधा प्रखंड अंतर्गत भालकी पंचायत सुंड़गी गांव की महिलाओं ने अपने दम पर कमाल कर दिखाया है. सुंड़गी गांव के मोरडीह टोला की 300 महिलाओं ने अपने गांव की पांच एकड़ बंजर जमीन को ऊपजाऊ खेत में बदल दिया है. सामुहिक एकता के जरिए श्रमदान करके महिलाओं ने यह सफलता हासिल की है. आज इस जमीन पर खेती हो रही है और इस तरह से गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है.
इस कार्य के लिए सबसे पहले एकता की जरुरत थी. इस जरुरत को समझते हुए महिलाओं ने सबसे पहले गांव में आड़े जल उपभोक्ता समूह के नाम से एक संगठन बनाया. इसके बाद बंजर जमीन को खेत बनाया और उनसे मिर्च और बैंगन की खेती शुरू की. आज पांच एकड़ जमीन में महिलाओं की मेहनत लहलहा रही है. झारखंड की मीडिया में छपी खबरों के अनुसार संगठन से जुड़ी कुछ महिलाओं ने इस पहल की अगुवाई की थी और आज उनकी मेहनत रंग लाई है. हालांकि महिलाओं ने बताया जमीन तैयार करने के बाद खेती करने के लिए इस जमीन पर सिंचाई एक बड़ी समस्या थी.
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महिलाओं ने बताया की सिंचाई के अलावा तकनीकी जानकारी का अभाव होना भी इनके लिए एक बड़ी परेशानी का सबब बन रहा था. पर उन महिला किसानों के अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था इसलिए उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और सरकार की योजनाओ से जु़डने का प्रयास किया. महिलाओं के लगन को देखते हुए उन्हें विभाग की तरफ से संचालित राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ मिला. सोलर पंप योजना का लाभ लेते हुए महिलाओं ने अपने खेत तक सिंचाई सुविधा पहुंचाई और बैगन की खेती की. पहले साल में अच्छा उत्पादन हुआ इसे देखते हुए दूसरे साल महिलाओं ने मिर्च की खेती की है. इतना नही नहीं खेत को जानवरों से बचाने के लिए झटका फेंसिंग भी लगाई गई है.
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इन ग्रामीण महिलाओं को आगे की राह दिखाने में सरकारी योजनाओं के साथ-साथ स्वयं सेवी संगठन और एफपीओ का भी सहयोग प्राप्त हुआ. जिले के कृषि अधिकारियों और संगठन ने मिलकर इन महिलाओं के तकनीकी विकास और उत्पादन बढ़ाने में सहयोग किया. इस तरह से इन महिलाओं ने सफलता हासिल की है और आज ये महिलाएं अच्छी कमाई करके आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं. इस तरह से यह महिलाएं अपने गांव की महिलाओं के साथ-साथ आस-पास के गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रही है.
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