देश में इस बार कई राज्यों ने मॉनसून ने दगा दिया इसके कारण बारिश कम हुई और इसका सीधा असर उन राज्यों में धान की खेती पर पड़ा है. इसके अलावा कई राज्यों में अत्यधिक बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई इससे भी फसल नुकसान हुआ है. पर इन सबके बीच जम्मू कश्मीर से एक अच्छी खबर आ रही है कि इस साल जम्मू कश्मीर में धान का बंपर उत्पादन हुआ है. हालांकि पिछले कुछ वर्षों की तुलना में धान की खेती का रकबा 10 प्रतिशत तक घट गया है पर इसके बावजूद भरपूर फसल हुई है.
दरअसल इस साल जब मई-जून में बुआई के मौसम में लगातार बारिश और ठंड हो रही थी, इसके कारण धान की पैदावार को लेकर किसान और कृषि विभाग के अधिकारी भी चिंतित थे. मीडिया रिपोर्ट से मुताबिक कृषि निदेशक मोहम्मद इकबाल ने बताया कि मार्च, अप्रैल और मई के महीने में भारी बारिश हुई थी, जिसके कारण विभाग और किसान थोड़े डरे हुए थे कि इस बार धान की फसल कैसी होगी, उत्पादन कैसा होगा. पर इसके बावजूद किसानों और विभाग ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया और दूसरी बार भी बुवाई की. आज नतीजा सबसे सामने है.
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मोहम्मद इकबाल चौधरी ने कहा कि विभाग ने जून में भी रोपाई के लिए अभियान चलाया था. आगे उन्होंने बताया कि उम्मीद की जा रही है कि इस प्रति हेक्टेयर पांच से 10 प्रतिशत अधिक उत्पादन होगा. क्योंकि अब तक 90 प्रतिशत से अधिक फसल पहले ही काटी जा चुकी है. निदेशक ने कहा कि बंपर फसल से किसानों का मनोबल बढ़ा है, क्योंकि स्थानीय बाजार में चावल की दर 50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक हो गयी है.
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इकबाल चौधरी ने कहा कि हमारे किसानों ने हाल ही में आयोजित जीआई महोत्सव में मुश्कबुदजी को 260 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा है. पिछले साल इस धान की कीमत 130 रुपये प्रति किलोग्राम थी. राज्य में धान के बेहतर उत्पादन को लेकर उन्होंने कहा कि फसल के बीज की गुणवत्ता उसकी उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. क्योंकि अच्छी गुणवत्ता के बीज से फसल उत्पादन 20 से 25 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. जम्मू-कश्मीर में इस वक्त लगभग 1.29 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुछ वर्षों पहले तक यह आंकड़ा 1.40 लाख हेक्टेयर था.
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