भले ही केंद्र सरकार 2027 तक दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रोडमैप तैयार कर रही है, लेकिन वह आयात जरूरतों के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहना चाहती है. वहीं, वह कीमत के मोर्चे पर भी किसी कार्टेल द्वारा निर्देशित नहीं होना चाहती है. यही वजह है कि उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने म्यांमार के आयातकों और निर्यातकों को कीमतों में औसत से अधिक बढ़ोतरी के लिए चेताया है. साथ ही उन्होंने कहा है कि सरकार विशेष रूप से उड़द (काला चना) के आयात को बढ़ाने के लिए ब्राजील और अर्जेंटीना के साथ बात कर रही है.
नेफेड के सहयोग से ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन (जीपीसी) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय वैश्विक सम्मेलन पल्सेस 24 में बोलते हुए सिंह ने कहा कि सरकार एकल आपूर्तिकर्ता देश पर निर्भरता से बचने के लिए ब्राजील और अर्जेंटीना के साथ काम कर रही है. भारत ने CY 2023 में लगभग 3.1 मिलियन टन दालों का आयात किया था, जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत मसूर (दाल), 0.88 मिलियन टन तूर और 0.60 मिलियन टम उड़द शामिल था, जो मुख्य रूप से म्यांमार से आयातित था.
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उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि म्यांमार और पूर्वी अफ्रीकी देशों के आपूर्तिकर्ता स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. इसलिए मैं उन्हें चेतावनी भी देना चाहता हूं कि कृपया हमें हल्के में न लें. हमारे पास इसे नियंत्रित करने के लिए तंत्र हैं. जब तक आप उचित मुनाफा कमा रहे हैं, हम आपके साथ हैं. लेकिन अगर आप सिस्टम से खिलवाड़ करना चाहते हैं या अनुचित लाभ उठाना चाहते हैं, तो हम आपके पीछे जाएंगे. सचिव ने आगे कहा कि भारत लगभग 28 मिलियन टन दालों का उत्पादन करता है और इतनी ही मात्रा में खपत भी करता है. लेकिन उत्पादन और खपत में बहुत अंतर है. यह अंतर मसूर, अरहर और उड़द की अधिक खपत के कारण होता है.
उन्होंने कहा कि हमने पिछले दो वर्षों में मौसम की गड़बड़ी, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भू-राजनीतिक तनाव के कारण चुनौतीपूर्ण समय का सामना किया है. इन चुनौतियों के बावजूद हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना रहा है कि उपभोक्ताओं को सही कीमत पर दालें मिलें. इसने हमें गेहूं के आटे, चावल और दाल के लिए भारत ब्रांड लॉन्च करने के लिए प्रेरित किया है. यह पहली बार है कि सरकार खुदरा क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है, क्योंकि अब तक हमारा हस्तक्षेप केवल थोक बाजार में था. सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत के लिए उत्पादन करने वाले बाजारों में किसानों को स्थिरता प्रदान करने के लिए सरकार के पास दालों के आयात के लिए लगातार व्यापार नीतियां हैं.
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दरअसल, केंद्र सरकार ने 2027 तक उड़द और तूर दाल के उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है. इस रोड मैप के तहत आगामी खरीफ सीजन में किसानों के खेती करने के लिए बेहतरीन किस्में दी जाएंगी. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि 2016-17 से स्थापित 150 केंद्रों में 1 लाख क्विंटल से अधिक दालों के उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उत्पादन किया गया है.
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