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नीलगाय से हो रहा फसलों को नुकसान, पढ़ें यहां उन्हें भगाने के तीन देशी जुगाड़

नीलगाय से हो रहा फसलों को नुकसान, पढ़ें यहां उन्हें भगाने के तीन देशी जुगाड़

नीलगाय को भगाने के लिए लगभग 9 से 10 मुर्गी के अंडों की जरूरत होती है. इतने अंडे लेने के बाद इसे फोड़कर 50 ग्राम वाशिंग पाउडर इसमें मिला दें. इन दोनों को मिलाने के बाद इसे 25 लीटर पानी में डाल कर एक घोल तैयार करें. इसके बाद इसे खेत में और खड़ी फसल में छिड़काव करें.

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नीलगाय को भगाने का देशी तरीका (सांकेतिक तस्वीर नीलगाय को भगाने का देशी तरीका (सांकेतिक तस्वीर

किसान बहुत मेहनत से खेती करता है. पर कई बार बेमौसम बारिश या जंगली जानवरों से फसलों को नुकसान हो जाता है. नीलगाय भी किसानों की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाती है. नीलगायों के नुकसान के कारण किसान कई बार किसान पूरी तरह से बर्बाद हो जाते हैं. खेत की बाउंड्री थोड़ी सी भी कमजोर होने पर नीलगाय उसमें कूदकर अंदर घुस जाती है और फसलों को चट कर जाती है. इससे किसानों को बहुत नुकसान होता है. नीलगाय के अलावा सूअर भी खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं. पर अब किसानों को नीलगाय से मुक्ति का उपाय मिल गया है. इन उपायों को किसान नीलगायों से अपने फसलों को होनेवाले नुकसान से बचा सकते हैं. 

नीलगाय भगाने के तीन देशी तरीके हैं. इसके तहत देशी नुस्खे आजमाए जाते हैं. यह उपाय काफी फायदेमंद होता है क्योंकि इसके लिए किसान को कम पैसे खर्च करने पड़ते हैं. पहले तरीके के अनुसार नीलगाय को भगाने के लिए लगभग 9 से 10 मुर्गी के अंडों की जरूरत होती है. इतने अंडे लेने के बाद इसे फोड़कर 50 ग्राम वाशिंग पाउडर इसमें मिला दें. इन दोनों को मिलाने के बाद इसे 25 लीटर पानी में डाल कर एक घोल तैयार करें. इसके बाद इसे खेत में और खड़ी फसल में छिड़काव करें. इससे इतनी तेज गंध आती है कि नीलगाय और दूसरे जंगली जानवर दूर-दूर नहीं फटकते हैं. 

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नीम की खली का प्रयोग

नीलगाय को भगाने के दूसरे तरीके में नीम की खली भी काफी फायदेमंद होती है. इस तरीके में नीम की खली और चूल्हे की राख का प्रयोग किया जाता है. इसके लिए तीन किलोग्राम नीम की खली और तीन किलोग्राम चूल्हे की राख का इस्तेमाल किया जाता है. इन दोनों को मिलाकर पाउडर को फसल के चारों ओर छिड़काव करना होता है. 6 किलोग्राम का यह मिक्सचर दो बीघा खेत में छिड़काव करने के लिए काफी होता है. इसके दो फायदे होते हैं. पहला यह कि नीलगाय किसी भी तरह को फसल को नुकसान नहीं पहुंचाती है. साथ ही फसल को नीम की खली और राख से फायदा भी मिलता है. नीम की खली के इस्तेमाल से फसल को कई प्रकार के कीट से भी बचाव होता है. साथ ही फसल को नाइट्रोजन की भी पूर्ति हो जाती है. चूल्हे की राख में सल्फर होता है इससे फसल की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. 

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मट्ठा और लहसुन वाला उपाय

नीलगाय को भगाने के लिए मट्ठा और छिला हुआ प्याज काफी कारगर साबित होता है. खड़ी फसल को नीलगाय से बचाने के लिए  4 किलोग्राम मट्ठे में छिला हुआ प्याज और आलू को मिलाकर अच्छे से घोल बना के फसल पर छिड़काव करना चाहिए. इससे इतना खतरनाक गंध आता है कि नीलगाय ही नहीं अन्य कई पशु भी फसल के आस पास भी नहीं आते हैं. इस मिश्रण के अलावा 4 लीटर मट्ठे में लहसुन को अच्छे से पीसकर मिला दें, फिर इसमें 500 ग्राम बालू डालें और पांच दिन तक ढंक कर रखें. इसके बाद इस घोल को खेत के चारों तरफ छिड़काव करें. इससे नीलगाय खेतों के आस-पास भी नहीं आएगी.