झारखंड में मछली पालन से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, Fisheries Meet 2024 में कृषि सचिव ने रखी ये मांग

झारखंड में मछली पालन से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, Fisheries Meet 2024 में कृषि सचिव ने रखी ये मांग

कृषि सचिव ने कहा कि झारखंड सरकार की तरफ से पीएमएमएसवाई के तहत मिलने वाली सब्सिडी के अलावा भी टॉप अप सब्सिडी किसानों को दी जा रही है. केंद्र सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड मछली पालन में आत्मनिर्भर हो गया है पर अभी भी जीरा उत्पादन के मामले में झारखंड दूसरे राज्यों पर निर्भर है.

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झारखंड में मछली पालन से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर, Fisheries Meet 2024 में कृषि सचिव ने रखी ये मांगफीशरीज समर मीट 2024

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-केंद्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान ने मत्स्य विभाग और भारत के सहयोग से फीशरीज समर मीट 2024 का आयोजन किया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए झारखंड राज्य कृषि सचिव अबू बकर सिद्दिकी कहा कि ने राज्य में केज कल्चर, आरएएस और बॉयोफ्लॉक को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाएं हैं. राज्य के किसानों को इसका लाभ मिल रहा है. मछली उत्पादन बढ़ने के साथ मत्स्य पालकों की आय भी बढ़ी है. कृषि सचिव ने कहा कि झारखंड में बड़ी संख्या में खुले खादान हैं जिनमें पानी भरा हुआ है. इन खादानों का इस्तेमाल मछली पालने के लिए किया जा रहा है. इन खादानों में मछली पालन करने के लिए केज कल्चर को बढ़ावा दिया जा रहा है. इससे इन इलाकों के आस-पास रहने वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं. उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है और मछली उत्पादन भी बढ़ा है. 

कृषि सचिव ने कहा कि झारखंड सरकार की तरफ से पीएमएमएसवाई के तहत मिलने वाली सब्सिडी के अलावा भी टॉप अप सब्सिडी किसानों को दी जा रही है. केंद्र सरकार से मांग करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड मछली पालन में आत्मनिर्भर हो गया है पर अभी भी जीरा उत्पादन के मामले में झारखंड दूसरे राज्यों पर निर्भर है. इसलिए झारखंड को आधुनिक हैचरी की आवश्यकता है ताकि अपने किसानों के बीज की मांग को पूरा सके. उन्होंने कहा कि झारखंड में एक भी ब्रूड बैंक नहीं है, एक देवघर में प्रस्तावित है पर अभी तक शुरू नहीं हुआ है. वह इस साल के अंत तक शुरू हो जाएगा. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मत्स्य तकनीकी विकास के क्षेत्र में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस झारखंड में खुलना चाहिए. इससे यहां पर किसानों के क्षमतावर्धन में मदद मिलेगी और राज्य में मछली पालन में तकनीक के इस्तेमाल से तेजी आएगी.

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राज्य में खुले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

एबी सिद्दीकी ने कहा कि हजारीबाग में एक बड़ा एक्वापार्क का निर्माण कराने की योजना है. इसके लिए भारत सरकार से सहयोग की जरूरत है. कृषि सचिव ने कहा कि झारखंड में पीएमएमएसवाई के तहत एक हेक्टेयर तालाब के लिए जो राशि मिलती है उसे बढ़ाया जाए क्योंकि पठारी इलाका होने के कारण यहां खर्च अधिक होता है. साथ ही कहा कि राज्य में मछली पालन पर्याप्त मात्रा में होता है. इसलिए इसे विदेशों तक एक्सपोर्ट करने के लिए एपीडा का सहयोग विभाग को मिलना चाहिए ताकि मत्स्य किसानों को लाभ मिल सके. फिलहाल राज्य से मछलियां दूसरे राज्यों में भी भेजी जाती हैं. इसके अलावा वैल्यू एडिशन और प्रोसेसिंग के लिए झारखंड के पास अच्छी व्यवस्था नहीं है. इसलिए केंद्र सरकार को राज्य में इसे विकसित करने के लिए मदद करनी चाहिए.  

मछली पालन में आगे बढ़ रहा है भारत

इडा स्कटर ऑडिटोरियम, मदुरै, तमिलनाडु में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन ने कहा कि भारत सरकार सभी राज्यों की सहायता करने के लिए तैयार है. मछली पालन में देश काफी आगे बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में रोजगार के भी अवसर बढ़े हैं. इस मौके पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया था जिसमें संस्थान की तरफ से विकसित की गई नई तकनीकों को दिखाया गया था. इसमें खारे पानी में पालने के लिए उपयुक्त शंख और पंख वाली मछलियों की संभावित प्रजातियों को भी रखा गया था. 

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नई तकनीकों का किया गया प्रदर्शन

देश में मछली पालन की आधुनिक तकनीक को बढ़ावा देने से संबंधित चीजों की भी प्रदर्शनी लगाई गई थी. इसमें नए जमाने की झींगा पालन तकनीक, मछली, झींगा, लार्वा और विकास प्रणालियों के लिए पोषण संबंधी समाधान को बताया गया. इस मौके पर मछली के बाई प्रोड्क्ट से वैल्यू एडेड उत्पादों के विकास की जानकारी, मछलियों के रोग निदान और उनके स्वास्थ्य के उचित देखभाल के बारे में सटीक तकनीकों की जानकारी दी गई. प्रदर्शनी के दौरान किसानों और अन्य हितधारकों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए झींगा और केकड़ों का भी प्रदर्शन किया गया.

 

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