Drone Didi Scheme: ड्रोन उड़ाती हैं साइकिल चलाने वाली वीणा कुमारी, 150 किसानों को दे चुकी हैं ट्रेनिंग

Drone Didi Scheme: ड्रोन उड़ाती हैं साइकिल चलाने वाली वीणा कुमारी, 150 किसानों को दे चुकी हैं ट्रेनिंग

रांची के रातू प्रखंड के गुड़ू गांव की रहने वाली वीणा कुमारी ड्रोन दीदी हैं. बतौर आजीविका मित्र अपने गांव में किसानों की मदद करने वाली वीणा कुमारी अब अब अपने गांव और आसपास के गांवों के किसानों को आधुनिक खेती की तकनीक से रूबरू करा रही हैं. किसानों को ड्रोन इस्तेमाल के फायदे बता रही हैं. साथ ही उन्हें जैविक खेती करने के लिए भी प्रेरित करती हैं. आखिर साइकिल चलाने वाली वीणा कुमारी कैसे बनीं ड्रोन दीदी, पढ़ें यहां.

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ड्रोन उड़ाती हैं साइकिल चलाने वाली वीणा कुमारी, 150 किसानों को दे चुकी हैं ट्रेनिंगड्रेोन दीदी

झारखंड की ग्रामीण महिलाएं भी ड्रोन दीदी बन कर कृषि की आधुनिकतम तकनीकों को गांव तक पहुंचा रही हैं और ग्रामीण किसानों की मदद कर रही हैं. ड्रोन दीदी बनकर ये महिलाएं ना सिर्फ अपने जीवन में बदलाव ला रही हैं बल्कि अपने गांव और आस-पास के गांवों की कृषि की तस्वीर भी बदल रही हैं. रातू प्रखंड अंतर्गत गूड़ू गांव की वीणा कुमारी भी ऐसी ही महिला हैं जो ड्रोन दीदी बनकर अपने गांव और आस-पास के गांवों के किसानों की मदद करने के लिए तैयार हैं. रातू प्रखंड का गुड़ू इलाका अच्छी कृषि के लिए जाना जाता है. इस क्षेत्र में काफी संख्या में किसान रहते हैं. 

किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली वीणा कुमारी बताती हैं कि ड्रोन दीदी बनने के इस सफर में महिला समूह से जुड़ना उनके लिए काफी लाभदायक साबित हुआ है. वह  2015 में महिला नवक्रांति महिला समूह से जुड़ गईं. समूह में जुड़ने के बाद उनका चयन आजीविका कृषि मित्र के तौर पर किया गया. आजीविका कृषि मित्र के तौर पर वीणा कुमारी को कृषि से जुड़ी और चीजों के बारे में जानकारी हासिल हुई. उन्हें खेती का प्रशिक्षण लेने  लिए भेजा गया. इसके बाद से ही वे अपने गांव और आस-पास के गांवों के किसानों को उन्नत खेती के बारे में प्रशिक्षण देती हैं.

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आजीविका कृषि मित्र का अनुभव आया काम

खेती को लेकर उनका यही अनुभव ड्रोन दीदी बनने में उनके काम आया. वीणा बताती हैं कि जब ड्रोन दीदी योजना में चयन की प्रक्रिया शुरू हुई तब उनके गांव में कुछ लोग आए जो ड्रोन दीदी का चयन करना चाह रहे थे. योग्यता और अनुभव के आधार पर उनका चयन किया गया है. इसके बाद उन्हें ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण देने के लिए सबसे पहले बिहार के समस्तीपुर भेजा गया. यहां पर उन्हें 11 दिनों का प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद फिर मोतिहारी में एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया गया और रांची में तीन दिनों का प्रशिक्षण दिया गया. इसके बाद अब वो अपने गांव में किसानों ड्रोन सेवा देने के लिए तैयार हैं.

गांव के 150 किसानों को दे चुकी हैं प्रशिक्षण

उन्होंने बताया कि वो पहले ही इसकी सेवा शुरू कर देतीं पर ड्रोन में कुछ तकनीकी खराबी आ जाने के कारण देरी से काम शुरू हुआ. वीणा बताती हैं कि ड्रोन से खाद और दवाओं का स्प्रे करने को लेकर वो काफी उत्साहित हैं. उनके गांव के किसान भी ड्रोन से अपने खेतों में छिड़काव कराने के लिए उत्साहित हैं. वो कहती हैं कि इस बार धान के सीजन में उन्हें खूब काम मिलेगा. वीणा कुमारी इससे पहले अपने गांव के 150 किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण दे चुकी हैं. आज लगभग 50 किसान गाव में जैविक खेती करते हैं. उनके खेतों में ड्रिप इरिगेशन लगा हुआ है.

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किसानों को करती हैं जागरूक

वीणा अपने गांव में किसानों को ड्रोन के इस्तेमाल से होने वाले फायदे को बताती हैं. इससे अधिक से अधिक संख्या में किसान भी जागरूक हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि ड्रोने के इस्तेमाल से सबसे पहले समय की बचत होती. एक एकड़ खेत में खाद या दवा का छिड़काव करने में कुछ ही मिनट का समय लगता है जबकि हैंड स्प्रे करने से तीन से चार घंटे का समय लगता है. वहीं ड्रोन का इस्तेमाल करने से पानी की भी बचत होती है. ड्रोन से छिड़काव करने पर 10 लीटर में एक एकड़ में छिड़काव हो जाता है. इसके नोजल से छोटी बूंदें निकलती हैं जो पत्तों में चिपक जाती हैं. इससे अधिक फायदा होता. वीणा बताती हैं कि आज तक उन्होंने साइकिल के अलावा कुछ और नहीं चलाया था. लेकिन अब वो ड्रोन चला रही हैं. अपनी उपलब्धि पर उन्हें गर्व है. 

 

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