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काली मिर्च के वैश्विक बाजार में आ रही तेजी का भारत के किसानों को कितना होगा फायदा, पढ़ें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

काली मिर्च के वैश्विक बाजार में आ रही तेजी का भारत के किसानों को कितना होगा फायदा, पढ़ें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

काली मिर्च के कारोबार से सूत्रों ने बताया कि काली मिर्च के डीलर और किसान दोनों ही फसल को अभी बेच नहीं रहे हैं और स्टॉक करके रखे हुए हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है की आने वाले दिनों में और अच्छे दाम मिलेंगे.

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दुनिया भर में काली मिर्च की बढ़ती कीमतों में भारत में काली मिर्च की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदें बढ़ा दी है. अब उन्हें इस बात की उम्मीद हो रही है कि आने वाले दिनों में वैश्विक बाजार में काली मिर्च की मांग बढ़ेगी साथ ही उन्हें अच्छे दाम भी मिलेंगे इससे उन्हें अच्छी कमाई भी होगी. खास कर किसानों को उम्मीद है कि अमेरिका और यूरोप से अब मांग में तेजी आएगी. अच्छी मांग के बीच भारत के लिए चिंता का विषय यह भी है कि क्या वो वैश्विक बाजार से आ रही काली मिर्च की मांग को पूरा करने में सक्षम होगा. क्योंकि सूत्रों के मुताबिक घरेलू बाजार में भी काली मिर्च मजबूत स्थिति में बनी हुई है.

द हिंदू बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार काली मिर्च के कारोबार से सूत्रों ने बताया कि काली मिर्च के डीलर और किसान दोनों ही फसल को अभी बेच नहीं रहे हैं और स्टॉक करके रखे हुए हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद है की आने वाले दिनों में और अच्छे दाम मिलेंगे. इसके कारण भी बाजार में मांग के बावजूद इसकी कमी बनी हुई है. इसके अलावा उधार में अधिक कीमत पर खरीदारी के कारण भी बाजार में किसी भी वस्तु की कीमत बढ़ जाती है, काली मिर्च के साथ  भी यही हो रहा है और इसका बाजार प्रभावित हो रहा है. 

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मिल रही अच्छी कीमत

भारतीय बाजार में काली मिर्च के कीमत की बात करें तो कोच्ची टर्मिनल मार्केट में बिना ग्रेड किए हुए काली मिर्च की कीमत 685 रुपये प्रति किलो तक जा रही है. जबकि ग्रेड किया हुआ काली मिर्च 705 रुपये किलो की दर से बिक रह है. जबकि वैश्विक बाजारों की बात करें तो वियतनाम में यह 8200 डॉलर प्रति टन, श्रीलंका में 7,800 डॉलर प्रति टन, इंडोनेशिया में 8200 डॉलर और ब्राजील में 8000 डॉलर की दर से बिक रहा है. 

भारतीय काली मिर्च और मसाला व्यापार संघ के निदेशक किशोर शामजी ने कहा कि कई ऐसे कारण हैं जिससे कीमतों में तेजी आई है. उनमें भारी बारिश का होना भी एक बड़ा कारण है. भारी बारिश के कारण श्रीलंका से शिपमेंट भेजने में देरी हुई है. जबकि कुछ शिपमेंट में नमी पाई गई और कुछ शिपमेंट को रिजेक्ट किया गया है. जिन खरीदारों ने श्रीलंका के शिपमेंट को रिजेक्ट किया है वो अब नया माल देख रहे हैं जो भारत के लिए एक अवसर है. 

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घरेलू मांग से कम है उत्पादन

ऑल इंडिया स्पाइस एक्सपोर्ट फोरम के वाइस चेयरमैन इमानुएल नाबुश्रील ने कहा कि भारतीय मसाला का निर्यात वैश्विक बाजार में गति पकड़ रहा है. पर वियतनाम की तुलना में यह अभी भी महंगा है. भारत में काली मिर्च का उत्पादन 2024 में 60,000 टन तक रहने वाला है, जबकि देश में काली मिर्च की खपत इससे अधिक लगभग 66000 टन की है. उन्होंने कहा की काली मिर्च का निर्यात भारतीयों के फायदेमंद नहीं होगा क्योंकि 6000 टन की कमी को पूरा करने के लिए भारत को श्रीलंका और वियतनाम से इसका आयात करना होगा. हालांकि 2023 के मुकाबले इस बार इस फसल के उत्पादन में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है पर स्टॉक पिछले साल से कम है.