दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर आए दिन हादसे होते हैं और हादसों में लोगों की जान चली जाती है. हादसा के दौरान कम से कम नुकसान हो, इसलिए एनएचएआई (NHAI) की तरफ से अब एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ बांस के पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ बांस की एक लेयर तैयार हो सके. यह बांस की लेयर एक्सप्रेस वे पर बैरिकेडिंग का भी काम करेंगी.
देश के सबसे लंबे सुपर हाईवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर वाहनों के चलने की अधिकतम लिमिट 120 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन वाहन चालक एक्सप्रेस वे पर 200 किलोमीटर प्रति घंटा और उससे भी तेज रफ्तार में गाड़ियों को चलाते हैं. ऐसे में थोड़ी सी गलती जानलेवा बन जाती है.
अभी एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ लोहे के बैरिकेडिंग की गई है. इनसे टकराने के दौरान वाहन को नुकसान होता है. साथ ही वाहन के अंदर बैठी सवारियों को भी नुकसान पहुंचता है. एक्सप्रेस वे पर आए दिन होने वाले सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है. इन हादसों को देखते हुए एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने अब एक्सप्रेसवे की दोनों तरफ बांस के पेड़ लगाने का फैसला लिया है. एनएचएआई के सोहना के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पीके कौशिक ने बताया कि एनएचएआई मुख्यालय की तरफ से एक्सप्रेस वे के हाईवे के दोनों तरफ बांस के पेड़ लगाने पर जोर दिया है.
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ऐसे में गुरुग्राम से अलवर तक एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ बांस के पेड़ लगाने की योजना तैयार की गई है, जिससे एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ बांस की एक बैरिकेडिंग तैयार हो सके. बांस के पेड़ मजबूत और फ्लैक्सिबल होते हैं. इससे टकराने पर वाहन में कम नुकसान होगा. साथ ही बांस मजबूत होता है, इसलिए इसमें मेंटेनेंस भी कम होगा. प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने बताया कि इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं. वो एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ बांस के पौधे लगाने का काम जल्द शुरू करेंगे, जिससे एक्सप्रेस वे के दोनों तरफ बांस की लेयर तैयार होगी. इसका सीधा फायदा वाहन चालकों को मिलेगा और हादसों में होने वाले नुकसान में भी कमी आएगी.
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया की तरफ से बांस के प्रयोग पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में देश के उन एक्सप्रेस वे और हाईवे को चिन्हित किया जा रहा है, जहां सड़क हादसे ज्यादा होते हैं. वहां पर स्टील की जगह क्रैश बैरियर के रूप में बांस का प्रयोग किया जाएगा. एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि बांस के बैरियर से वाहन संतुलित होकर किनारे की ओर रुक जाएगा. वहीं, स्टील के बैरियर में टकराने के बाद वाहन को तेज झटका लगता है.
एनएचएआई के अधिकारियों ने बताया कि देश में 10 किलोमीटर लंबे हाईवे पर बांस के क्रैश बैरियर लगाए गए हैं. वहां ट्रायल सफल रहा है, इसलिए अन्य जगह भी इस सिस्टम को लागू करने की तैयारी चल रही है. बांस के बैरियर स्टील बैरियर की तुलना में सस्ते होते हैं. इसके मेंटेनेंस में भी खर्चा स्टील की तुलना में कम आएगा. (हिमांशु शर्मा की रिपोर्ट)
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