अमचूर की गिरती कीमतों से तेलंगाना के आम किसान परेशान, सरकारी एजेंसियों से खरीद कराने की उठाई मांग

अमचूर की गिरती कीमतों से तेलंगाना के आम किसान परेशान, सरकारी एजेंसियों से खरीद कराने की उठाई मांग

पिछले चार दशकों से निजामाबाद अमचूर का एक बड़ा केंद्र रहा है. यहां से देश के कई राज्यों में अमचूर की सप्लाई की जाती है. अमचूर बनाने के लिए आम का छिलका हटाकर उसे सुखाया जाता है. इसके बाद इसके कटे हुए टुकड़े या पाउडर को अमचूर बनाया जाता है और इसका इस्तेमाल किया जाता है. 

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अमचूर की गिरती कीमतों से तेलंगाना के आम किसान परेशान, सरकारी एजेंसियों से खरीद कराने की उठाई मांगअमचूर के घट रहे दाम (सांकेतिक तस्वीर)

तेलंगाना में आम की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी परेशान हैं. यह परेशानी उन किसानों के लिए अधिक बढ़ गई है जो अमचूर के लिए आम बेचते हैं क्योंकि अमचूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है. कीमतों में गिरावट के कारण आम के किसानों की परेशानी बढ़ गई है. अमचूर की घटिया क्वालिटी का हवाला देते हुए व्यापारी केवल 8,000 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत दे रहे हैं. निजामाबाद कृषि बाजार यार्ड राज्य में अमचूर की बिक्री के लिए एकमात्र बाजार है. एक वक्त था जब अविभाजित आंध्र प्रदेश के करीमनगर, वारंगल, मेडक, रंगारेड्डी, महबूबनगर और आदिलाबाद जिलों के किसान निजामाबाद में बिक्री के लिए अमचूर लेकर आते थे.

दक्षिण भारत के राज्यों में आम तौर पर अलग-अलग व्यंजनों में इमली का इस्तेमाल करते हैं. पर इमली के इस्तेमाल से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए अब लोग खाद्य पदार्थों में इमली के बजाय अमचूर का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. उत्तर भारत में अधिकांश तौर पर अमचूर का इस्तेमाल किया जाता है. पिछले चार दशकों से निजामाबाद अमचूर का एक बड़ा केंद्र रहा है. यहां से देश के कई राज्यों में अमचूर की सप्लाई की जाती है. अमचूर बनाने के लिए आम का छिलका हटाकर उसे सुखाया जाता है. इसके बाद इसके कटे हुए टुकड़े या पाउडर को अमचूर बनाया जाता है और इसका इस्तेमाल किया जाता है. 

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मौसम के कारण कम हुई पैदावार

'दक्कन क्रॉनिकल' की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडक जिले के लक्ष्मपुर गांव के किसान दासरी नरसिमलू ने बताया कि अमचूर अब उनके लिए लाभदायक नहीं रहा क्योंकि अब मौसम की मार के कारण आम की पैदावार कम हो गई है. प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों के कारण आम की पैदावार कम हो गई है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अमचूर की मांग भी अब पहले की अपेक्षा कम हो गई है. उन्होंने कहा कि किसान दूर-दराज से अमचूर लेकर आते हैं पर उन्हें उतनी भी कमाई नहीं होती है जितना वे ढुलाई में खर्च करते हैं. निर्मल जिले के भैंसा के एक अन्य किसान सैयद यूसुफ बताते हैं कि हम 100 आमों के छिलके उतारने के लिए 70 रुपये देते हैं. लेकिन, ऑनलाइन लेन-देन और घटिया गुणवत्ता का हवाला देते हुए व्यापारी हमें उचित मूल्य नहीं देते.

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नहीं मिल रहा सही दाम

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए सरकारी एजेंसियों के माध्यम से अमचूर की खरीद करनी चाहिए. मेडक जिले के चमनपुर गांव के लिंगम ने बताया कि वह मल्लिका किस्म का अमचूर बेचने के लिए लाए थे और उन्हें 33,200 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला. एक व्यापारी अंकित गुप्ता ने बताया कि गांवों में अमचूर बनाने के दौरान हुई बेमौसम बारिश के कारण उन्हें काफी नुकसान हुआ है. निजामाबाद कृषि बाजार समिति के चयन ग्रेड सचिव ई.वी.वेंकटेशम ने कहा कि गुणवत्ता के आधार पर अमचूर की कीमतें 8,000 से 33,500 रुपये प्रति क्विंटल तक है. उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों की तुलना में इस सीजन में कीमतें अनुकूल नहीं हैं. उन्होंने कहा कि निजामाबाद में कृषि उत्पादों की कीमतों को अंतिम रूप देने के लिए ई-नाम का उपयोग किया जाएगा.

 

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