Agriculture Live Blogउत्तर भारत में सर्दियों की दस्तक के साथ ही मौसम पूरी तरह से बदल चुका है और बदल चुका है किसानों के लिए बुआई का सीजन. पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में शीतलहर के साथ ही किसान भी रबी की फसलों की बुआई में जुट गए हैं. मौसम विभाग (IMD) ने इस बार कड़ाके की ठंड को लेकर अलर्ट जारी किया है और किसानों को तैयार रहने की सलाह दी है. वहीं दूसरी ओर कर्नाटक और तमिलनाडु समेत दक्षिणी राज्यों में बारिश का सिलसिला जारी है. देश में रबी का सीजन की फसलों की बुआई जोर-शोर से जारी है तो खरीफ फसलों की खरीद का काम भी एक तरफ चल रहा है. आपको खाद-बीज से लेकर, खेती और गार्डनिंग के टिप्स और किसानों के लिए जरूरी सरकारी योजनाओं की जानकारियां और देशभर में हो रहे बड़े घटनाक्रमों की हर अपडेट भी इस लाइव और लगातार अपडेट के साथ मिलती रहेगी.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और राज्य से जुड़ी मांगों पर ज़ोर दिया, जिनमें गन्ने का उचित मूल्य, रायचूर के लिए एम्स, बाढ़ राहत राशि जारी करना आदि शामिल हैं. गन्ने के मूल्य पर उनकी यह मांग उत्तरी कर्नाटक में किसानों द्वारा गन्ना खरीद मूल्य में वृद्धि की मांग को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर आई है. मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को दिए अपने ज्ञापन में राज्य की कई पुरानी मांगों को उजागर किया, जिनमें बाढ़ राहत के लिए 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी करना और महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देना शामिल है. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, 'केंद्रीय राजकोषीय हस्तांतरण और आपदा निधि को लेकर राज्य की चिंताओं के बीच हुई इस बैठक में पीएम को सौंपे गए दस्तावेज में हुए पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों के जिक्र पर चर्चा हुई.' प्रधानमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में, सिद्धारमैया ने गन्ना मूल्य निर्धारण संकट के स्थायी समाधान की मांग की. बयान में कहा गया है, 'हालिया किसान आंदोलन के बाद, राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री को सूचित किया कि उसने गन्ने पर 100 रुपये प्रति टन अतिरिक्त भुगतान अनिवार्य करके एक समाधान निकाला है, जिसमें राज्य आधी लागत (50 रुपये) वहन करेगा.' ज्ञापन में कहा गया है कि यह एक अस्थायी समाधान है और स्थायी समाधान की जिम्मेदारी केंद्र पर है. मुख्यमंत्री ने तीन प्रमुख अनुरोध किए—चीनी के लिए 'स्थिर' न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में तत्काल संशोधन, जो वर्तमान में 31 रुपये प्रति किलोग्राम है; कर्नाटक की भट्टियों से इथेनॉल का सुनिश्चित उठाव; और एक केंद्रीय अधिसूचना जो राज्यों को कटाई और परिवहन लागत तय करने का अधिकार दे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आज यानी 18 नवंबर, 2025 को गोरखनाथ मंदिर, गोरखपुर में आयोजित जनता दर्शन में लोगों की समस्याओं को सुना और संबंधित अधिकारियों को प्राथमिकता के साथ जन-समस्याओं के शीघ्र निराकरण के निर्देश दिए तथा गौशाला में गौ सेवा की.

दालों के तहत 52.82 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई दर्ज की गई है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 48.93 लाख हेक्टेयर की तुलना में अधिक है. श्री अन्न और मोटे अनाजों के तहत 15.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की रिपोर्ट की गई है.तिलहनी फसलों का क्षेत्र 66.17 लाख हेक्टेयर को पार कर गया है. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 11 नवंबर 2025 तक रबी फसलों के तहत क्षेत्रीय कवरेज की प्रगति रिपोर्ट जारी की है.
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भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने आज मध्य प्रदेश के कुछ स्थानों पर भीषण शीत लहर का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. छत्तीसगढ़, पूर्वी राजस्थान, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, तेलंगाना और उत्तर-पश्चिम भारत में भी ऐसी ही स्थिति रहेगी. मौसम विभाग ने अगले दो दिनों तक आंध्र प्रदेश, केरल, माहे, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है.

तमिलनाडु के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एम आर के पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि सांबा फसल बीमा की समय सीमा 30 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। पहले यह समय सीमा 15 नवंबर निर्धारित की गई थी. मंत्री ने कहा, '27 जिलों के जिन किसानों ने अभी तक अपनी सांबा फसल का बीमा नहीं कराया है, वे सामान्य सेवा केंद्रों, प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों और राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से बीमा प्राप्त कर सकते हैं.' वर्तमान में, सांबा धान की खेती 26.25 लाख एकड़ क्षेत्र में की जा रही है. अब तक 6.27 लाख किसानों ने 15 लाख एकड़ सांबा धान का बीमा कराया है. यह कुल खेती योग्य क्षेत्र का 57 प्रतिशत है. पिछले साल इसी तारीख को, सांबा धान फसल का बीमा 10 लाख एकड़ के लिए किया गया था. समय सीमा के विस्तार से लाभान्वित होने वाले 27 जिलों की सूची में तंजावुर, नागापट्टिनम, मयिलादुथुराई, तिरुवरुर, मदुरै, थेनी, डिंडीगुल, पुदुक्कोट्टई, करूर, तिरुप्पुर, सलेम, कांचीपुरम, चेंगलपट्टू, वेल्लोर, तिरुपत्तूर और रानीपेट जिले शामिल हैं.सूची में बाकी अन्य जिले हैं: तिरुवन्नामलाई, धर्मपुरी, विल्लुपुरम, कल्लाकुरिची, कुड्डालोर, रामनाथपुरम, शिवगंगई, तिरुचिरापल्ली, अरियालुर, पेरम्बलुर और इरोड.पन्नीरसेल्वम ने कहा कि पूर्वोत्तर मॉनसून की बारिश के कारण कई जिलों में जमीन की जुताई और सांबा धान की रोपाई की तैयारी में देरी हो रही है, और यही कारण है कि समय सीमा बढ़ाई गई है.
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