अक्सर यह माना जाता है कि खेती एक जोखिम भरा व्यवसाय है. यही वजह है कि युवा खेती नहीं करके कंपनियों में रोजगार करना चाहते हैं. दरअसल, कंपनियों में मासिक या सालाना एक निश्चित आमदनी की गारंटी होती है, जबकि कृषि में कितनी आमदनी होगी या कितना नुकसान होगा. इस बात की कोई गारंटी नहीं होती है. कई बार तो किसान अपनी लागत तक भी नहीं निकाल पाते हैं. वहीं कृषि में होने वाले नुकसान के कारण कई बार किसान आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के औरंगाबाद, जालना, बीड, परभणी, नांदेड़, उस्मानाबाद, हिंगोली और लातूर जिले से आया है.
दरअसल, पीटीआई के अनुसार एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में इस साल 31 अगस्त तक 685 किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से सबसे ज्यादा 186 मौतें राज्य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे के गृह जिले बीड में हुई हैं. वहीं मध्य महाराष्ट्र के शुष्क क्षेत्र में आठ जिले- औरंगाबाद, जालना, बीड, परभणी, नांदेड़, उस्मानाबाद, हिंगोली और लातूर शामिल हैं.
यहां के डिविजनल कमिश्नर ऑफिस की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र में 1 जनवरी से 31 अगस्त, 2023 के बीच 685 किसानों ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली है और इनमें से 294 किसानों ने आत्महत्या मॉनसून के तीन महीनों जून से अगस्त के बीच की है.
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मालूम हो कि मराठवाड़ा वर्तमान में 20.7 प्रतिशत वर्षा की कमी का सामना कर रहा है. एक अधिकारी ने कहा, इस क्षेत्र में अब तक 455.4 मिमी बारिश (11 सितंबर तक) हुई है, जबकि औसत मॉनसूनी बारिश (समीक्षा अवधि के दौरान) 574.4 मिमी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि क्षेत्र में सबसे ज्यादा 186 किसानों की आत्महत्या बीड जिले में हुई है.
बीड एनसीपी के बागी नेता धनंजय मुंडे का गृह जिला है, जो 2 जुलाई को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल हुए थे और लगभग दो सप्ताह बाद उन्हें कृषि विभाग दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीड जिले के बाद उस्मानाबाद में 113 किसानों ने आत्महत्या की है; नांदेड़ में 110 किसानों ने आत्महत्या की है; औरंगाबाद में 95 किसानों ने आत्महत्या की है; परभणी में 58 किसानों ने आत्महत्या की है; लातूर में 51 किसानों ने आत्महत्या की है, जालना में 50 किसानों ने आत्महत्या की है, और हिंगोली में 22 किसानों ने आत्महत्या की है.
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