मिर्च की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि इसकी खेती में किसानों को नुकसान नहीं होता है. मिर्च की मांग पूरे साल रहती है इसलिए किसानों को इसके अच्छे दाम भी मिलते हैं. मिर्च की खेती में अधिक मुनाफा कमाने के लिए इसकी अच्छी पैदावार होनी जरूरी है साथ ही इसकी गुणवत्ता भी अच्छी होनी चाहिए और यह तीखा भी होना चाहिए. तब ही किसानों को इसके अच्छे दाम मिलते हैं. इसकी खेती में अच्छी उपज हासिल करने के लिए खाद और उर्वरक का सही मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए.
मिर्च की खेती को ड्रिप इिरिगेशन से सिंचाई करने पर अच्छा फायदा होता है और पानी की बर्बादी भी नहीं होती है. मिर्च की खेती करने के लिए सबसे पहले खेती की मिट्टी की जांच करानी चाहिए. मिट्टी के जांच के आधार पर ही खेत में उर्वरकों और खाद का इस्तेमाल करना चाहिए, इससे अच्छी गुणवत्ता और अच्छी उपज हासिल किया जा सकता है. ड्रिप के पाइप द्वारा मिर्च के पौधों तक उर्वरक पहुंचाने की तकनीक को फर्टिगेशन तकनीक कहते हैं. यह किसानों के लिए फायदेमंद होता है.
इस तकनीक में फर्टिलाइजर टैंक या वेंचुरी के माध्यम से पानी में घुलने वाले उर्वरकों का इस्तेमाल किया जाता है. आम तौर पर मिर्च की खेती करने से पहले खेत में प्रति एकड़ की दर से 100 क्विंटल गोबर खाद और एक क्विंटल नीम की खली खेत में मिलाना चाहिए. अंतिम जुताई के वक्त खेत में इसे मिलाना चाहिए. इसके साथ ही मिर्च की रोपाई से पहले क्यारी में 20 किलोग्राम गोबर खाद मिलाना चाहिए.
क्यारी में 20 किलोग्राम गोबर के साथ दो किलोग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी, एक किलोग्राम एजोस्पिरिलम और एक किलोग्राम फॉफ्सोबैक्टिरिया प्रति एकड़ की दर से मिलाना चाहिए. मिट्टी की जांच में अगर खेत में जिंक की कमी आती है तो खेत में 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए. जिंक का प्रयोग खेत की आखिरी जुताई के समय करना चाहिए. इससे मिर्च की पैदावार अच्छी होती है और इसमें तीखापन आता है. साथ ही रंग भी अच्छा चमकीला होता है.
मिर्च की खेती में इसके अलावा 50 किलोग्राम नाइट्रोजन, 32 किलोग्राम फॉस्फोरस और 32 किलोग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए. इसमें फॉस्फोरस की 75 फीसदी मात्रा सिंगल सूपर फॉस्फेट के माध्यम से पौधे की रोपाई से पहले खेत में मिला देना चाहिए. इसके अलावा नाइट्रोजन और पोटाश की पूरी मात्रा और फॉस्फोरस की बची हुई मात्रा ड्रिप द्वारा घुलनशील उर्वरकों के साथ मिलाकर सप्ताह में दो बार दें.
खेत में सेकेंडरी पोषक तत्व कैल्शियम, मैग्नीशियम और सल्फर के लिए कैल्शियम नाइट्रेट और मैग्नीशियम सल्फेट चार किलोग्राम प्रति एकड़ खेत में ड्रिप के माध्यम से डालना चाहिए. यह छिड़काव महीने में एक बार खेत में करना चाहिए. इसके साथ ही एक महीने में एक बार बोरोन 500 ग्राम प्रति एकड़ और सूक्ष्म पोषक तत्व 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से महीने में एक बार ड्रिप के माध्यम से खेत में देना चाहिए. पौधा लगाने के 40 दिन बाद 10 दिनों के अंतराल पर जिंक सल्फेट का छिड़काव पत्तों पर करना चाहिए.
मिर्च की खेती में अच्छी पैदावार के लिए इसका खरपतवार का नियंत्रण करना भी जरूरी होता है. मिर्च की पहली निराई गुड़ाई 20-25 और दूसरी 35-40 दिनों के बाद करनी चाहिए. हाथ से निराई करने को प्राथमिकता दें. मिर्च की खेती में प्लास्टिक मल्च का उपयोग करना लाभदायक माना जाता है. क्योंकि इससे खरपतवार नियंत्रित करने में मदद मिलती है और खेत में मिट्टी की नमी भी बरकरार रहती है.
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