राजस्थान सहित कई राज्यों के किसानों ने एक बार फिर से हुंकार भरी है. इस बार मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद की गारंटी कानून बनाने की है. किसान संगठन आपस में बातचीत कर शनिवार को नई दिल्ली के डॉ. बी.आर.अम्बेडकर भवन में प्रेस से भी इस संबंध में बात करने वाले हैं. राजस्थान से इसमें किसान महापंचायत के रामपाल जाट भी शामिल हैं. उन्होंने किसान तक को बताया कि किसान संगठनों के प्रतिनिधि गांधी शांति प्रतिष्ठान में जमा होकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी के लिए कानून बनाने की दिशा में चिंतन करेंगे. 29-30 जुलाई को 11 राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने नागपुर में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने के लिए सत्ता रूढ दलों से मांग की थी.
इसकी अध्यक्षता किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने की थी.
किसान संगठन एमएसपी पर कानून बनाने की मांग सभी दलों से कर रहे हैं. रामपाल जाट बताते हैं कि नागपुर में पारित हुए प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया है कि जो भी दल पहले इस प्रकार का कानून बनाएगा, देश के किसान उसी दल को अपना मत एवं समर्थन देंगे. इतना ही नहीं किसान उस दल का पूरा सहयोग करेंगे. इसी साल राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं.
जाट जोड़ते हैं, “राजस्थान में तो इसके लिए तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इसी क्रम में राजस्थान के किसानों ने 24 अगस्त से 2 सितंबर तक प्रदेश के अतिरिक्त मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र तक एमएसपी अधिकार यात्रा शुरू की थी. उसके दूसरे चरण में राजस्थान के पाली, नागौर, अजमेर, दूदू जिलों में भी इस यात्रा के अंतर्गत सभाओं का आयोजन किया गया था. चुनाव की आचार संहिता से पहले राजस्थान एवं केंद्र में सरकारों से अध्यादेश लाकर इस प्रकार के कानून बनाने का किसानों ने मांग की थी. इसी दिशा में 16 सितंबर शनिवार को देशभर के किसान संगठनों का जमावड़ा दिल्ली में हो रहा है.
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इसके लिए उत्तराखंड से भोपाल सिंह, छत्तीसगढ़ से पारस साहू, मध्य प्रदेश से राजेश धाकड़, हरियाणा से सेवा सिंह आर्य, दिल्ली से नरेंद्र महरौली, उत्तर प्रदेश से नरेंद्र राणा, राजस्थान से किशनलाल डागुर की समिति की घोषणा नागपुर में ही कर दी गई थी, जो इस काम में जुटी हुई है. महाराष्ट्र से विजय जावधिया भी जुड़े हैं.
किसान संगठन इसी साल राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और 2024 में आम चुनावों को अपने पक्ष में लेना चाहते हैं. इसीलिए किसान दिल्ली में इकठ्ठा होकर इस कानून की मांग कर रहे हैं. साथ ही किसान संगठन दिल्ली में ही मीडिया से मिल रहे हैं. किसान चाहते हैं कि उनकी मांग दिल्ली में बैठी सरकार तक स्पष्ट रूप से पहुंच जाए.
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जाट इसी बात को आगे बढ़ाते हैं, “18 से 22 सितंबर तक पांच दिन का विशेष संसद का सत्र बुलाया हुआ है. उसमें इस विषय पर चर्चा के लिए कांग्रेस संसदीय दल की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छह सितंबर को ही पत्र लिखा है. किसानों की ओर से I.N.D.I.A.गठबंधन के सभी दलों से अपने-अपने राज्यों में इस प्रकार का कानून बनाने का आग्रह किया गया है.
भारतीय संविधान के अनुसार कृषि एवं किसान कल्याण के संबंध में कानून बनाने की आधिकारिता राज्यों को है, लेकिन केंद्र भी लोकहित को देखते हुए राज्यसभा या कम से कम दो विधानसभाओं में संकल्प पारित कराकर इस प्रकार का कानून संसद में बना सकती है.
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