वेयर हाउस निर्माण पर सरकार ने घटाई सब्सिडी, 50 के स्थान पर मिलेगा 10% अनुदान

वेयर हाउस निर्माण पर सरकार ने घटाई सब्सिडी, 50 के स्थान पर मिलेगा 10% अनुदान

साल 2019 में गाजे-बाजे के साथ लाई गई कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय निर्यात प्रोत्साहन नीति के राज्य सरकार ने ही पर काट दिए हैं.

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साल 2019 में गाजे-बाजे के साथ लाई गई कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय निर्यात प्रोत्साहन नीति के राज्य सरकार ने ही पर काट दिए हैं. राजस्थान सरकार ने वेयर हाउस के निर्माण पर दी जाने वाली सब्सिडी घटा दी है. सब्सिडी घटाने के लिए सरकार ने हाल ही में कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 के नियमों में बदलाव किया है. इसके अनुसार अब किसानों या व्यापारियों को वेयर हाउस के निर्माण में सिर्फ 10 प्रतिशत सब्सिडी ही देय होगी. पहले वेयर हाउस बनाने के लिए किसानों को 50 और गैर कृषक वर्ग को 25 प्रतिशत दी जाती थी. 
राज्य सरकार ने इस नीति का प्रचार-प्रसार किसानों के बीच जमकर किया था. लेकिन जैसे ही वेर हाउस बनाने के लिए आवेदन ज्यादा आने लगे, सरकार ने योजना के नियमों में बदलाव कर दिया. हालांकि इस योजना का लाभ ले चुके लोगों से किसी भी तरह की रिकवरी नहीं होगी, लेकिन नए आवेदकों को बदले गए नियमों के हिसाब से सब्सिडी मिलेगी. बदले नियमों के अनुसार नाबार्ड से किसी योजना के तहत स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार 10% टॉपअप के रूप में सब्सिडी देगी. 
बता दें कि कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय निर्यात प्रोत्साहन नीति-2019 के तहत वेयर हाउस के निर्माण के लिए ही अधिक आवेदन आ रहे थे. सरकार इन नीति के तहत किसानों को एक करोड़ रुपए तक की सब्सिडी दे रही थी, जिसे अब घटाकर 10 प्रतिशत किया गया है. बदले नियमों से किसानों और गैर किसानी लोगों का वेयर हाउस बनाने के प्रति रुझान कम होगा. 

क्या है कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि व्यवसाय निर्यात प्रोत्साहन नीति
2019 में लाई गई इस नीति के तहत किसान कई तरह की इकाइयों को निर्माण कर सकते हैं. इसमें फल-सब्जी प्रसंस्करण, मसाले, अनाज, तिलहन उत्पाद, चावल, आटा पिसाई, दाल प्रसंस्करण, हर्बल औषधि, लघु वन उपज प्रसंस्करण, दूध प्रसंस्करण की काश्तगार इकाइयां स्थापित कर सकते हैं. इसके अलावा ढांचागत परियोजना भी लगाई जा सकती है. इस नीति के तहत खाद्य विकरणन प्रसंस्करण संयंत्र, शीत शृंखला, पैक हाउस, सरकार द्वारा घोषित पार्क, कृषि प्रसंस्करण समूह , रीफर वैन आदि की स्थापना भी की जा सकती है. इस नीति में प्रसंस्करण इकाई लगाने वाले किसानों को लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम एक करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जाती है. हालांकि बदले गए नियमों में कॉटन एवं जिनिंग मिल लगाने वाले किसानों और व्यापारियों को पहले की तरह सब्सिडी दी जाएगी.
 

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