हल्दी की खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में की जाती है. साथ ही इसका इस्तेमाल भी हर घर में किया जाता है. दुनिया भर में खपत होने वाली हल्दी का 80 प्रतिशत अकेले भारत में पैदा होता है. हल्दी से कई प्रकार की औषधियां भी बनाई जाती हैं. आजकल हल्दी का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्ट्स में भी किया जा रहा है. किसान हल्दी की खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं. दरअसल, यह भारत के हर राज्य में उगाया जाता है. लेकिन, हल्दी उत्पादन के मामले में तेलंगाना भारत के सभी राज्यों में शीर्ष पर है. तेलंगाना समेत 6 राज्य ऐसे हैं, जहां भारत के कुल हल्दी उत्पादन का 80 फीसदी उत्पादन होता है.
ऐसे में इस साल हल्दी के उत्पादन और दामों को लेकर कई तरह की आशंका जताई जा रही है. वैश्विक हल्दी सम्मेलन 2023 में हल्दी के उत्पादन में गिरावट की बात कही गई है. क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं.
वैश्विक हल्दी सम्मेलन 2023 में भारत में हल्दी के उत्पादन को लेकर एक अनुमानित आंकड़ा सामने रखा गया. जिसके मुताबिक 2023-24 सीज़न (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान भारत का हल्दी उत्पादन घटकर 10.26 लाख टन (It) हो सकता है. साथ ही यह भी बताया गया कि हल्दी कि कीमत औसतन 12,500 प्रति क्विंटल के आसपास रह सकती है. आपको बता दें पिछले कुछ महीनों में हल्दी की कीमतें 6,000 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 17,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं.
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हल्दी उत्पादन में कमी और कीमत में हुई बढ़त का कारण हल्दी के क्षेत्रफल में आई गिरावट को बताया जा रहा है. हल्दी का क्षेत्रफल 11 प्रतिशत गिरकर 2.86 लाख हेक्टेयर हो गया है. क्योंकि किसानों ने हल्दी कि खेती कि जगह गन्ना, (मकई) जैसी अन्य फसलों की ओर रुख कर लिया है. जिस वजह से अब विशेषज्ञों का मानना है कि हल्दी की कीमतें 9,800 से नीचे नहीं गिर सकती हैं और 23,600 तक बढ़ सकती हैं.
इससे पहले सम्मेलन की शुरुआत करते हुए, महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में हिंगोली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले संसद सदस्य हेमंत पाटिल ने एक अलग हल्दी बोर्ड की स्थापना का आह्वान किया. उन्होंने कहा, ''हम बोर्ड स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सफल नहीं हो सके.'' उन्होंने कहा, हालांकि, महाराष्ट्र सरकार ने बालासाहेब ठाकरे अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
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