बकरे के मीट एक्सपोर्ट में आती हैं ये परेशानियां, दूर करने को सीआईआरजी में जुट रहे साइंटिस्ट

बकरे के मीट एक्सपोर्ट में आती हैं ये परेशानियां, दूर करने को सीआईआरजी में जुट रहे साइंटिस्ट

केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बकरे और बकरियों के मीट उत्पादन में भारत का नंबर 8वां है. सीआईआरजी के डायरेक्टर के मुताबिक बकरे और बकरियों के मीट की देश में बहुत खपत है, इसलिए एक्सपोर्ट उतना नहीं हो पाता है. खासतौर पर बकरीद के मौके पर बकरे हाथों-हाथ बिकते हैं.

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बकरे के मीट एक्सपोर्ट में आती हैं ये परेशानियां, दूर करने को सीआईआरजी में जुट रहे साइंटिस्टजखराना बकरियों का फाइल फोटो. फोटो क्रेडिट-किसान तक

हमेशा से बकरे-बकरी डबल इनकम का साधन रहे हैं. दूध के साथ ही मीट की भी खूब डिमांड रही है. लेकिन बीते कुछ वक्त से मीट की डिमांड में और इजाफा हुआ है. पहले देश में सबसे ज्या‍दा बकरे बकरीद के मौके पर बिका करते थे. लेकिन अब दूसरे देशों से भी कुछ खास नस्ल वाले बकरों के मीट के खूब ऑर्डर आते हैं. जिंदा बकरे भी बहुत एक्सपोर्ट होते हैं. लेकिन अब मीट एक्सपोर्ट में कुछ परेशानी आने लगी हैं. जांच के बाद मीट के कंसाइनमेंट वापस आ रहे हैं. इसी कमी को दूर करने के लिए केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा, यूपी में साइंटिस्ट जुट रहे हैं. आने वाले दो दिन देशभर के एक्सपर्ट निर्यात में आने वाली कमियों को दूर करने और उसे बढ़ाने के लिए अपने टिप्स देंगे.चार और पांच मई को सीआईआरजी में सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है.   

देश में सभी तरह के पशुओं का कुल मीट उत्पादन 37 मिलियन टन है. सबसे ज्यादा मीट उत्पादन महाराष्टा, यूपी, तेलंगाना, आंध्रा प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होता है. केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों की मानें तों देश के कुल मीट उत्पादन में बकरे और बकरियों के मीट का करीब नौ मिलियन टन का योगदान है. 

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मीट एक्सपोर्ट करने में आती ये सबसे बड़ी परेशानी 

सीआईआरजी के डॉयरेक्टर मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि मीट एक्सपोर्ट के दौरान बकरे के मीट की केमिकल जांच होती है. हैदराबाद का एक संस्थान यह जांच करता है. कई बार ऐसा हुआ कि जांच के बाद मीट कंसाइनमेंट लौटकर आ गए हैं. यह इसलिए होता है कि बकरों को जो चारा खिलाया जाता है उसमे कहीं न कहीं पेस्टीसाइड का इस्तेमाल हुआ होता है. लेकिन अब सीआईआरजी ने आर्गनिक चारा उगाना शुरू कर दिया है. इस चारे को बकरों ने भी खाया. 

लेकिन जब उनके मीट की जांच हुई तो मीट में वो केमिकल नहीं मिले जिनकी शिकायत पहले आती थी. इसलिए हम बकरी पालन की ट्रेनिंग के दौरान और जागरुकता कार्यक्रम के तहत पशु पालकों को यह बात समझते हैं कि वो अपने बकरे और बकरियों को ऑर्गनिक चारा खिलाएं. जिससे मीट ही नहीं बकरी के दूध की भी डिमांड बढ़े और उसके अच्छें दाम मिलें. अभी भी लगातार हमारे संस्थान में इस पर रिसर्च चल रही है.

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बकरों से ज्यादा मीट लेने को बढ़ाया जा रहा है वजन 

एक बकरे में से जितना ज्यादा मीट निकलेगा तो मीट बेचने वाले को उतना ही ज्यादा फायदा होगा. इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए सीआईआरजी में एक रिसर्च चल रही है. ये बकरों का वजन बढ़ाने से संबंधित रिसर्च है. जीन एडिटिंग नाम की इस रिसर्च से किसी भी नस्ल के बकरे और बकरियों के जीन में एडिटिंग कर उनका वजन बढ़ाया जा सकेगा. सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट एसपी सिंह के मुताबिक अगर किसी भी नस्ल के बकरे का अधिकतम वजन 25 किलो है तो हमारी इस रिसर्च से उसका वजन 50 किलो यानि दोगुना हो जाएगा.

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